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जयपुर

राजीनामा कराने में अफसरों की बेरुखी, जस्टिस ने जताई नाराजगी

लोकअदालत को लेकर गंभीर नहीं हैं अफसर, लोकअदालत में हाजिर नहीं होते अधिकारी
 

जयपुरApr 06, 2018 / 08:36 pm

Vishnu Sharma

lok adalat

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विष्णु शर्मा/ जयपुर
राज्य में अफसर लोकअदालत के माध्यम से होने वाले राजीनामा को लेकर कतई गंभीर नहीं है। हालत यह है कि विभागों के अफसर राजीनामे की स्वीकृति देने लोकअदालत में हाजिर नहीं हो रहे हैं। अफसरों की लोकअदालत के प्रति इस बेरुखी पर विधिक सेवा समिति के कार्यवाहक अध्यक्ष जस्टिस संगीत लोढ़ा ने गहरी नाराजगी जताई है। इस पर विधि विभाग ने 22 अप्रेल को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत को सफल बनाने राज्य के सभी अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को पत्र लिखकर सहयोग करने के लिए कहा है।
सूत्रों के अनुसार विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से समय—समय पर लोकअदालत लगाई जा रही है। वहीं राष्ट्रीय लोक अदालत भी लगाई जा चुकी है। इसमें दोनों पक्षों के बीच राजीनामा करवाकर मामले का निबटारा कराया जाता है। इससे अदालतों में चल रहे प्रकरणों का बोझ कम होता है, वहीं लोगों को भी राहत मिलती है। देखा यह जा रहा है कि अफसर लोकअदालत में सक्रिय रूप से भाग नहीं लेते। राजीनामा वाले मामलों में विभाग की ओर से स्वीकृति देने के लिए उपस्थित नहीं होते हैं। इस पर विधि विभाग के विशिष्ट सचिव की ओर से आला अफसरों को पत्र लिखकर जस्टिस लोढ़ा की नाराजगी की तरफ ध्यान दिलाया है।

राजीनामे के बिंदू करें तय, सूची मांगी …
जस्टिस लोढ़ा ने दूसरी राष्ट्रीय अदालत को सफल बनाने के लिए अफसरों से विभागों के कोर्ट में लंबित ऐसे मामलों की सूची बनाने के निर्देश दिए हैं, जिनका निस्तारण राजीनामे या प्रीलिटिगेशन के माध्यम से हो सकता है। चििह्नत प्रकरणों के निस्तारण के लिए संबंधित पक्षकारों के साथ 22 अप्रेल से पहले बैठक कर राजीनामे के बिंदू तय करने के लिए कहा है।
सुनिश्चित करें कोर्ट में उपस्थिति …
आला अफसरों से कहा गया है कि वो सभी कोर्ट में अपने विभाग में राजीनामे के लिए सक्षम अधिकारी की उपस्थिति सुनिश्चित करें। राजीनामा योग्य प्रकरणों की सूची सात दिन में विधि विभाग में भेजने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही सूची कोर्ट में पेश कर संबंधित पक्षकारों को नोटिस जारी करने का अनुरोध करें। इससे राज्य सरकार के खिलाफ लंबित विवाद हमेशा के लिए समाप्त हो सके तथा समय, श्रम और धन की बचत हो सके।
ये मामले हैं राजीनामा की श्रेणी में …
राष्ट्रीय लोक अदालत प्री—लिटिगेशन में धारा 138, बैंक रिकवरी, श्रम विवाद, पानी व बिजली के बिल, लंबित प्रकरणों में शमनीय दांडिक अपराध, एमएसीटी मामले, वैवाहिक विवाद, राजस्व मामले, भूमि अधिग्रहण मामले, मजदूरी, भत्ते और पेंशन भत्तों से संबंधित सेवा मामले, जिला एवं उच्च न्यायालय में लंबित राजस्व मामले, अन्य सिविल मामले आदि विषय मामले शामिल किए जाएंगे।
मोटर दुर्घटना के मामले भी ..
राष्ट्रीय लोक अदालत में मोटर दुर्घटना संबंधित मामले भी रखे जाएंगे। अफसरों से कहा कि वे विभाग के खिलाफ लंबित राजीनामे योग्य मामले की सूचना दें। इसके साथ ही हाईकोर्ट जोधपुर और जयपुर खंडपीठ में इन प्रकरणों को लोक अदालत में सूचीबद्ध करवाकर निस्तारित कराने का प्रयास करें।
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