दो पूर्व मुख्य सचिव हो चुके हैं पेश
सांसद हनुमान बेनीवाल पर हुए हमले के मामले में राज्य के दो पूर्व मुख्य सचिव डीबी गुप्ता और राजीव स्वरूप भी संसद के विशेषाधिकार हनन समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं। इसके साथ ही तत्कालीन डीजीपी भूपेंद्र यादव, एडीजी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा भी समिति के समक्ष पेश हो चुके हैं।
एफआईआर दर्ज नहीं होने पर समिति के पास पहुंचा मामला
दरअसल बायतु में हनुमान बेनीवाल के काफिले पर हुए हमले के मामले में पुलिस की ओर से नामजद एफआईआर दर्ज नहीं करने के बाद सांसद हनुमान बेनीवाल इस मामले को विशेषाधिकार हनन समिति पास ले गए थे जिसके बाद समिति ने राज्य के तत्कालीन डीजीपी मुख्य सचिव और तत्कालीन बाड़मेर एसपी को कड़ी फटकार लगाई थी।
17 मार्च 2020 को तत्कालीन मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, तत्कालीन डीजीपी भूपेंद्र यादव, एडीजी उमेश मिश्रा और बाड़मेर के तत्कालीन एसपी शरद चौधरी और सीएमओ में तैनात अमित ढाका को तलब किया गया था। इसके बाद 12 अगस्त 2020 को तत्कालीन मुख्य सचिव राजेश स्वरूप, तत्कालीन डीजीपी भूपेंद्र यादव और एडीजी इंटेलिजेंस उमेश मिश्रा और अमित ढाका को समिति ने कड़ी फटकार लगाई थी।
समिति ने राजस्थान के तीनों शीर्ष नौकरशाहों को समिति के कक्ष के बाहर भी बैठाए रखा था। गौरतलब है कि 12 नवंबर,2019 को बाड़मेर जिले के बायतु में बेनीवाल के काफिले पर हमला हुआ था। जिस वक्त ये हमला हुआ था उस वक्त केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी भी बेनीवाल के साथ थे।
इस मामले में बेनीवाल और उनके समर्थकों ने पुलिस में मामला दर्ज कराने का प्रयास किया, लेकिन पुलिस अधिकारियों ने मामला दर्ज नहीं किया। इस पर बेनीवाल ने संसद के शीतकालीन सत्र में विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव पेश किया। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए विशेषाधिकार हनन समिति को भेज दिया था।
इस पर समिति सुनवाई कर रही है। बेनीवाल के काफिले पर हमला उनके द्वारा बायतु में क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक और राज्य सरकार के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी के खिलाफ की गई टिप्पणी के बाद हुआ था। बेनीवाल ने यहां एक कार्यक्रम में भाषण देते हुए चौधरी को लेकर टिप्पणी की थी। बेनीवाल का आरोप है कि ये हमला कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी के इशारे पर हुआ है।