जयपुर एक ओर जलदाय विभाग एक बार फिर से मावठे को बीसलपुर का पानी से भरने की योजना बना रहा है वहीं दूसरी ओर आज से सात साल पहले इसी योजना में मावठे में भरे पानी का बिल का भुगतान नहीं होने से शुरू विवाद का अब तक निस्तारण नहीं हुआ है।
आमेर को जयपुर की पर्यटन राजधानी माना जाता है। जयपुर आने वाला हर पर्यटक आमेर जरूर जाता है। इसी पर्यटन का एक हिस्सा है आमेर का मावठा। जब बीसलपुर में पानी की बंपर आवक हुई तो पर्यटन की दृष्टि से ऐतिहासिक महत्व रखने वाले मावठे को बीसलपुर परियोजना से पानी उपलब्ध कराने पर फिर से विचार किया जा रहा है। जलदाय मंत्री डा. बीडी कल्ला के निर्देश पर विभाग की बैठक भी हो चुकी है। जिसमें साफ किया गया कि आमेर शहर में पेयजल की कोई समस्या नहीं आए और मावठे को भी पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। जलदाय विभाग ने साफ किया कि मानबाग से आमेर को बीसलपुर का पानी मिलने के बाद 1.5 से 2.0 एमएलडी पानी मावठे के लिये छोडा जा सकता है और 3 महीनेे में मावठे को पूरा भरा जा सकता है।
आमेर को जयपुर की पर्यटन राजधानी माना जाता है। जयपुर आने वाला हर पर्यटक आमेर जरूर जाता है। इसी पर्यटन का एक हिस्सा है आमेर का मावठा। जब बीसलपुर में पानी की बंपर आवक हुई तो पर्यटन की दृष्टि से ऐतिहासिक महत्व रखने वाले मावठे को बीसलपुर परियोजना से पानी उपलब्ध कराने पर फिर से विचार किया जा रहा है। जलदाय मंत्री डा. बीडी कल्ला के निर्देश पर विभाग की बैठक भी हो चुकी है। जिसमें साफ किया गया कि आमेर शहर में पेयजल की कोई समस्या नहीं आए और मावठे को भी पानी उपलब्ध कराया जा सकता है। जलदाय विभाग ने साफ किया कि मानबाग से आमेर को बीसलपुर का पानी मिलने के बाद 1.5 से 2.0 एमएलडी पानी मावठे के लिये छोडा जा सकता है और 3 महीनेे में मावठे को पूरा भरा जा सकता है।
पिछली उधारी बाकी
करीबन सात साल पहले 2012 में प्रवासी भारतीय दिवस के तहत होने वाले सम्मेलन को देखते हुए केवल 25 दिनों में ही 5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन डालकर करीबन 3 करोड़ रुपए की परियोजना को पूरा किया। इसके तहत ब्रह्मपुरी पम्पिंग स्टेशन से 250 एमएम व्यास की पाईप लाईन डालकर मावठे को भरना शुरू किया गया। आखरी बार जनवरी-फरवरी 2012 में 600 लाख लीटर पानी मावठा में डाला था। जलदाय विभाग ने इसका कुल बिल 8,90,784 रुपए बनाकर एडमा को दिया। लेकिन एडमा ने इस बिल को चुकाने से इनकार कर दिया। इसी के साथ जलदाय विभाग ने भी पानी देने से इनकार कर दिया।
करीबन सात साल पहले 2012 में प्रवासी भारतीय दिवस के तहत होने वाले सम्मेलन को देखते हुए केवल 25 दिनों में ही 5 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन डालकर करीबन 3 करोड़ रुपए की परियोजना को पूरा किया। इसके तहत ब्रह्मपुरी पम्पिंग स्टेशन से 250 एमएम व्यास की पाईप लाईन डालकर मावठे को भरना शुरू किया गया। आखरी बार जनवरी-फरवरी 2012 में 600 लाख लीटर पानी मावठा में डाला था। जलदाय विभाग ने इसका कुल बिल 8,90,784 रुपए बनाकर एडमा को दिया। लेकिन एडमा ने इस बिल को चुकाने से इनकार कर दिया। इसी के साथ जलदाय विभाग ने भी पानी देने से इनकार कर दिया।
सूखा बीसलपुर इसके बाद बीसलपुर में पानी की आवक कम होने लगी और सरकार ने भी इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया। इसी बीच में वर्ष 2015-16 में आमेर शहर में पानी की गम्भीर समस्या को देखते हुए उक्त पाईप लाईन सेे बद्रीनाथ एवं नवलखा पम्प हाउस को जोड़कर आमेर शहर में पेयजल शुरू कर दी गई।
ऐसे में सवाल उठता है कि मावठे में फिर से बीसलपुर का पानी भरने की कवायद शुरू होती है तो पुराने बिल का भुगतान कौन करेगा और आगे इस तरह के विवाद नहीं हो इसके लिए विभागों में सामंजस्य किस तरह होगा…कमलेश अग्रवाल की खास रिपोर्ट