दो साल बाद त्रिपोलिया गेट से परंपरागत गणगौर की शाही सवारी निकाली गई। पर्यटन विभाग की ओर से दो दिवसीय गणगौर उत्सव के तहत जनानी ड्योढ़ी से गणगौर की शाही सवारी निकाली गईए सवारी त्रिपोलिया गेट से निकलकर त्रिपोलिया बाजारए छोटी चौपड़ए गणगौरी बाजार होते हुए तालकटोरा स्थित पालका बाग पहुंची। इस बीच राजस्थानी लोक कलाकार कालबेलियाइ, कच्छी घोड़ी, चकरी, गेर जैसे राजस्थानी लोकनृत्य करते हुए चले। गजराज पचरंगा निशान लिए निकला। सवारी में बैलगाड़ी, सजेधजे उंट व घुड़सवार भी शामिल हुए। बीच में शहर के प्रमुख बैंड वादक अपनी मधुर स्वर लहरियां बिखरते हुए आगे बढ़े। इस नजारे को सवारी देखने पहुंचे लोक कलाकारों ने अपने कैमरे व मोबाइलों में कैद किया। चांदी की पालकी में विराजित गणगौर माता की शाही सवारी गेट से बाहर निकली तो लोगों में दर्शनों की होड सी लगी। लोगों ने माता के न्यौछावर भी लुटाई। पीछे कलश लिए महिलाएं मंगल गीत गाते हुए निकली
दो साल बाद त्रिपोलिया गेट से परंपरागत गणगौर की शाही सवारी निकाली गई। पर्यटन विभाग की ओर से दो दिवसीय गणगौर उत्सव के तहत जनानी ड्योढ़ी से गणगौर की शाही सवारी निकाली गईए सवारी त्रिपोलिया गेट से निकलकर त्रिपोलिया बाजारए छोटी चौपड़ए गणगौरी बाजार होते हुए तालकटोरा स्थित पालका बाग पहुंची। इस बीच राजस्थानी लोक कलाकार कालबेलियाइ, कच्छी घोड़ी, चकरी, गेर जैसे राजस्थानी लोकनृत्य करते हुए चले। गजराज पचरंगा निशान लिए निकला। सवारी में बैलगाड़ी, सजेधजे उंट व घुड़सवार भी शामिल हुए। बीच में शहर के प्रमुख बैंड वादक अपनी मधुर स्वर लहरियां बिखरते हुए आगे बढ़े। इस नजारे को सवारी देखने पहुंचे लोक कलाकारों ने अपने कैमरे व मोबाइलों में कैद किया। चांदी की पालकी में विराजित गणगौर माता की शाही सवारी गेट से बाहर निकली तो लोगों में दर्शनों की होड सी लगी। लोगों ने माता के न्यौछावर भी लुटाई। पीछे कलश लिए महिलाएं मंगल गीत गाते हुए निकली