कोविड की पहली और दूसरी लहर के बाद किए गए विभिन्न सर्वे व दावों के मुताबिक करीब 70 प्रतिशत आबादी में कोविड एंटीबॉडी मानी गई है। इसका मतलब यह आबादी एक बार संक्रमित हुई और हल्के लक्षणों के साथ ही रिकवर हुई और इनमें एंटीबॉडी बन गई। दिल्ली के एक सर्वे में यह बात सामने आई है। राजस्थान के शीर्ष विशेषज्ञों ने भी इतनी आबादी में एंटीबॉडी को स्वीकार किया है।
प्रदेश की कुल चिह्नित करीब सवा सात करोड़ की आबादी में से अब तक 9.54 लाख से अधिक संक्रमण के मामलों की पुष्टि हुई है और 1.55 करोड़ से अधिक जांचें की गई हैं। संक्रमण का प्रतिशत कुल आबादी में 1.31 और जांच का प्रतिशत 21.39 प्रतिशत रहा है। इनमें भी बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी हैं, जिन्होंने एक से अधिक बार जांच करवाई और एक से अधिक बार संक्रमित मिले हैं। ऐसे में बड़ी आबादी अभी भी ऐसी है, जिनकी न तो आरटी-पीसीआर जांच हुई और न ही वे संक्रमित हुए, लेकिन कोविड के हल्के संक्रमण से गुजर कर स्वत: ही रिकवर हुए और उनमें एंटीबॉडी भी बन गई।
कोई भी महामारी उस समय एंडेमिक की अवस्था में पहुंच जाती है, जब उसके पूरी तरह खत्म होने की संभावना नहीं रहती। यानी उसका महामारी के रूप में तो अंत हो जाता है लेकिन उसके वायरस का अन्य सामान्य रोगों की शक्ल में अस्तित्व बना रहता है। इस स्थिति में लोगों को हमेशा के लिए उस इंफेक्शन के साथ ही जीना पड़ता है। हालांकि, इस फेज में सभी लोगों को संक्रमण होने का खतरा कम रहता है।
अभी कोविड अनुकूल व्यवहार और भीड़भाड़ से बचना आवश्यक है। लेकिन ओमिक्रॉन वैरिएंट के शुरुआती मामलों से ऐसा लग रहा है कि इसके लक्षणों व रिकवर का यही ट्रेंड रहा तो यह पेंडेमिक के लिए एंडेमिक साबित हो सकता है। यह वैरिएंट वैक्सीन की तरह भी काम कर सकता है और वरदान भी बन सकता है।
– डॉ. वीरेन्द्र सिंह, सदस्य मुख्यमंत्री कोविड सलाहकार समिति राजस्थान
वायरस से संक्रमित होने के बाद स्वाभाविक तौर पर एंटीबॉडी बनती है। अभी तक का ओमिक्रॉन ट्रेंड तो यही बता रहा है कि इससे लोग तेजी से रिकवर हो रहे हैं तो इसमें भी एंटीबॉडी तेजी से बनेगी। लेकिन इसमें अभी रिसर्च बेस कुछ नहीं है, ये आकलन प्रारंभिक ट्रेंड आधारित ही हैं। हमें अभी कुछ समय इंतजार करना है और कोविड अनुकूल व्यवहार रखते हुए सतर्क रहना है।
-डॉ. सुधीर भंडारी, प्राचार्य एवं नियंत्रक, एसएमएस मेडिकल कॉलेज