कोतवाली पुलिस की इस कार्रवाई के दौरान पुलिस ने गुजरात निवासी रणधीर सिंह, अजमेर निवासी अमित सिंह, झझुनूं निवासी ईश्वर सिंह और जयपुर निवासी टोडरमल सिंह को पकडा और उनके पास से नौ फोन बरामद किए। इन फोन पर सट्टे के लिए जो गु्रप बने हुए थे उन गु्रप पर कार्रवाई के दौरान भी भाव पूछने के लिए मैसेज और फोन आते रहे। आखिर पुलिस को इन चारों के फोन बंद करने पडे। चारों गिरफ्तार आरोपियों में से दो लोगों के मैसेज का जवाब दे रहे थे और दो लगातार नोट गिन रहे थे। चार करोड़ में चारों का कितना हिस्सा है इस बारे में भी जांच की जा रही है। बताया जा रहा है कि जिन लोगों को वाट्स एप ग्रुप में जोड़ रखा था उनकी संख्या करीब दो सौ से भी ज्यादा है। चार सटोरियों से भाव लेकर वाट्स ग्रुप के जरिए सटोरिए सट्टा खेल रहे थे।
रकम खुर्द बुर्द होने की आशंका था, बिना वारंट ही पहुंची पुलिस
जांच अफसरों ने बताया कि शाम करीब छह बजे बाद इस बारे में सूचना मिली थी। उसके बाद जब पता चला कि भवन में बड़ी रकम हो सकती है तो शाम के समय वारंट की कार्रवाई का इंतजार करना मुश्किल था। समय लगने पर रकम को ठिकाने भी लगाया जा सकता था। ऐसे में पुलिस की टीम बिना वारंट ही भवन की तलाशी लेने जा पहुंची। जब गेट खोला तो दो लड़के नोट गिनने वाली मशीन से कैश गिन रहे थे और दो अन्य लोगों को मैसेज का जवाब दे रहे थे। नौ मोबाइल फोन चालू थे और उनसे लगातार बातचीत और मैसेज हो रहे थे। पुलिस ने जब उनको दबोचा तो चारों ने अपनी जान देने की कोशिश की और कहा कि अगर कार्रवाई होगी तो चारों बर्बाद हो जाएंगे और जान दे देंगे। पुलिस टीम ने चारों को तुरंत शंति भंग करने की धाराओं में गिरफ्तार किया और थाने भेजा। बाद में आगे की कार्रवाई की गई।
बडा सवाल, कार्रवाई क्यों छुपाती रही पुलिस
इस पूरी कार्रवाई के बाद अब सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा होता है कि इतनी बडी कार्रवाई करने के बाद भी पुलिस ने इस कार्रवाई को 24 घंटे से भी ज्यादा समय तक क्यों छुपाए रखा..? मंगलवार शाम साढ़े छह बजे की इस कार्रवाई को बुधवार देर रात तक पुलिस दबाए बैठी रही लेकिन देर रात इसका खुलासा करना पडा। कार्रवाई का खुलासा देरी से क्यों किया इस बारे में किसी भी पुलिस अफसर ने कोई जानकारी नहीं दी और न ही इस मामले से संबधित सवालों के जवाब ही दिए। इस पूरे मामले में पुलिस की कार्रवाई अन्य केसेज की जरह साफ नहीं है।