पीएम की शिकायत पर लोकपाल की पूरी पीठ लेगी फैसला
जयपुरPublished: Mar 05, 2020 02:00:19 am
कायदे: पहले लोकपाल की नियुक्ति के 11 महीने बाद नियम जारी, पूरी पीठ ने शिकायत खारिज की तो कारण भी नहीं बताएंगे
पीएम की शिकायत पर लोकपाल की पूरी पीठ लेगी फैसला
नई दिल्ली.
केंद्र सरकार ने लोकपाल की नियुक्ति के करीब एक साल बाद उसके समक्ष प्रधानमंत्री समेत लोकसेवकों के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत दाखिल करने के लिए नियम जारी जारी कर दिए हैं। बुधवार को जारी किए गए नियमों के मुताबिक अगर मौजूदा या पूर्व प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई शिकायत आती है तो उस पर जांच शुरू की जानी चाहिए या नहीं, इस संबंध में दो तिहाई के बहुमत से पीठ फैसला करेगी। खास बात ये है कि अगर पूरी पीठ द्वारा शिकायत को खारिज किया जाता है तो इसका कोई कारण नहीं बताया जाएगा।
वहीं अगर केंद्रीय मंत्री या संसद के सदस्यों के खिलाफ मामला है तो इस संबंध में लोकपाल के कम से कम तीन सदस्यों की पीठ फैसला लेगी। कार्मिक मंत्रालय का कहना है कि सभी शिकायतों के साथ निर्धारित प्रारूप में हलफनामा अवश्य होना चाहिए। आदेश के मुताबिक लोकपाल संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 में से किसी भी भाषा में की गई शिकायत पर गौर कर सकता है।
30 दिन में शिकायत का निपटारा होगा
लोकपाल 30 दिन में शिकायत का निपटारा करेगा। झूठी शिकायत पर एक वर्ष कैद और एक लाख रुपए तक जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
डाक से या निजी रूप से की जा सकेगी शिकायत
शिकायत डाक के माध्यम से या व्यक्तिगत रूप से या इलेक्ट्रॉनिक रूप से साधारण तौर पर अंग्रेजी में की जा सकती है जिसका तौर तरीका लोकपाल ने तय कर रखा हो। कार्मिक मंत्रालय के आदेश के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक रूप से शिकायत करने पर उसके 15 दिनों के अंदर उसकी प्रति जमा करनी होगी। आदेश में कहा गया है, ‘अगर शिकायत हर पहलू से पूर्ण होगा तो लोकपाल इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त उक्त शिकायत को लंबित नहीं रखेगा।
खारिज केस के रेकॉर्ड नहीं होंगे प्रकाशित
लोकपाल की स्थापना पीएम, पूर्व पीएम समेत सार्वजनिक अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिए की गई है। नियम में कहा गया है कि पीएम या पूर्व पीएम के खिलाफ शिकायत को अगर बेंच खारिज कर देती है तो उससे जुड़े रेकॉड्र्स प्रकाशित नहीं किए जाएंगे।