यही कारण है कि सरकार खुश नहीं है। इसलिए नामों को मंजूरी नहीं दे रही है। अदालत ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के अनुशंसित नामों को मंजूरी देने में देरी पर केंद्र सरकार को अदालत की भावनाओं से अवगत कराने के लिए कहा। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि ‘कभी-कभी मीडिया की खबरें गलत होती हैं।’
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष विकास सिंह ने सुनवाई के दौरान कानून मंत्री की टिप्पणियों की ओर ध्यान दिलाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘कभी नहीं कहें कि केंद्र सिफारिशों पर कुंडली मार कर बैठा हुआ है …यदि ऐसा है तो सिफारिशें केंद्र को नहीं भेजें। खुद ही नियुक्त कर लें।’
स्वविवेक से बनाया कॉलेजियम सिस्टम :किरेन रिजिजू… कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने एक चैनल से बात करते हुए मौजूदा नियुक्ति प्रणाली पर हमला करते हुए कहा था कि कॉलेजियम प्रणाली संविधान के लिए ’एलियन’ है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने विवेक से, एक अदालत के फैसले के माध्यम से कॉलेजियम बनाया। 1991 से पहले न्यायाधीशों की नियुक्ति सरकार द्वारा की जाती थी। मंत्री ने कहा कि संविधान सभी के लिए, खासकर सरकार के लिए एक ’धार्मिक दस्तावेज’ है। उन्होंने सवाल किया था कि ’कोई भी चीज जो सिर्फ अदालतों या कुछ न्यायाधीशों के फैसले के कारण संविधान से अलग है, आप कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि उस फैसले को देश का समर्थन हासिल होगा।’
सिफारिशें रोकने से प्रणाली निराश: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नामों को मंजूरी नहीं दी जा रही है तो सिस्टम कैसे काम करेगा? कुछ नाम डेढ़ साल से लंबित हैं। ऐसा नहीं हो सकता है कि आप नामों को रोक सकते हैं, यह पूरी प्रणाली को निराश करता हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र से इस मुद्दे को हल करने का अनुरोध किया।