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जयपुर

भानगढ़ किले की भूतिया प्रेम कहानी, जहां आने से आज भी डरते हैं लोग

Valentine Day Special : जयपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अलवर जिले का भानगढ़ किला अकसर लोगों के लिए कोतूहल का विषय बना रहता है। लोग इसे भूतों का गढ़ कहते हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई में कुछ ऐसे सबूत भी मिले जिसके बाद लोगों को सख्त हिदायत दी गई कि सूर्यास्त के बाद यहां पर न जाएं। आज वैलेंटाइन डे स्पेशल में हम आपको इस जगह पर छिपी एक अनोखी प्रेम कहानी के बारे में बताने वाले हैं।

जयपुरFeb 05, 2024 / 05:33 pm

Ashish

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Valentine Day Special : जयपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अलवर जिले का भानगढ़ किला अकसर लोगों के लिए कोतूहल का विषय है। लोग इसे भूतों का गढ़ कहते हैं। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई में कुछ ऐसे सबूत भी मिले जिसके बाद लोगों को सख्त हिदायत दी गई कि सूर्यास्त के बाद यहां पर न जाएं। आज वैलेंटाइन डे स्पेशल में हम आपको इस जगह पर छिपी एक अनोखी प्रेम कहानी के बारे में बताने वाले हैं।

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भूतों की भी अपनी प्रेम कहानी होती है। शरीर के नष्ट होने के बाद भी ये आत्माएं महलों में कई सदियों से कैद हैं। भानगढ़ की कहानी रहस्यमयी और बड़ी ही रोचक है। 1573 में आमेर के राजा भगवंत दास ने भानगढ़ क़िले का निर्माण करवाया था।

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कहते हैं कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती बहुत खुबसूरत थी। उस समय राजकुमारी की खूबसूरती की चर्चा पूरे राज्य में थी। कई राज्यों से रत्नावती के लिए विवाह के प्रस्ताव आ रहे थे। उसी दौरान वो एक बार किले से अपनी सखियों के साथ बाजार में निकली। बाजार में वह एक इत्र की दुकान पर पहुंची और इत्र को हाथ में लेकर उसकी खूशबू सूंघ रही थी। उसी समय उस दुकान से कुछ दूरी पर सिंधु सेवड़ा नाम का व्यक्ति खड़ा होकर राजकुमारी को निहार रहा था। सिंघीया उसी राज्य का रहने वाला था और वह काले जादू में महारथी था।

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कथित रूप से राजकुमारी के रूप को देख तांत्रिक मोहित हो गया और राजकुमारी से प्रेम करने लगा और राजकुमारी को हासिल करने के बारे में सोचने लगा। लेकिन रत्नावती ने कभी उसे पलटकर भी नहीं देखा।

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जिस दुकान से राजकुमारी के लिए इत्र जाता था उसने उस दुकान में जाकर रत्नावती को भेजे जाने वाली इत्र की बोतल पर काला जादू कर उस पर वशीकरण मंत्र का प्रयोग किया। जब राजकुमारी को सच्चाई पता चल गई, तो उसने इत्र की शीशी के पास ही एक पत्थर फेंक दी। जिससे शीशी टूट गई और इत्र बिखर गया।

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काला जादू होने के कारण पत्थर सिंधु सेवड़ा के पीछे हो लिया और उसे कुचल डाला। सिंधु सेवड़ा तो मर गया, लेकिन मरने से पहले उस तांत्रिक ने श्राप दिया कि इस किले में रहने वाले सभी लोग जल्द ही मर जाएंगे और दुबारा जन्म नहीं लेंगे।

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उनकी आत्मा इस किले में ही भटकती रहेंगी। आज 21वीं सदी में भी लोगों में इस बात को लेकर भय है कि भानगढ़ में भूतों का निवास है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को खुदाई के बाद सबूत मिले हैं कि यह शहर एक प्राचीन ऐतिहासिक स्थल रहा था। अब किला भारत सरकार की देख रेख में आता है। किले के चारों तरफ आर्कियोलॉजिकल सर्वे आफ इंडिया (एएसआई) की टीम मौजूद रहती है। एएसआई ने सूर्यास्त बाद किसी के भी यहां रुकने को प्रतिबंधित कर रखा है।

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लेकिन अगर आप भानगढ़ घूमने जाना चाहें तो जा सकते हैं। दिन के उजाले में आपको घूमने की इजाजत है। भारतीयों के लिए टिकट का किराया 40 रुपए और विदेशियों के लिए 200 रुपए निर्धारित है।

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