सीकर: अभी से ही मिल रहे कम दाम
मंडी में प्रति किलो ढाई से साढ़े आठ रुपए तक थोक में प्याज बिक रहा है। वहीं बाजार में प्रति किलो 15 से 20 रुपए तक खुदरा में प्याज बिक रहा है। मंडी में फिलहाल पांच रुपए तक प्रति किलो वाले प्याज की खपत थोक में सबसे ज्यादा है। साढ़े आठ रुपए तक मोटे अच्छे प्याज की खपत मंडी में 10 प्रतिशत ही है।
लागत: 1.95 लाख, बिका: 1.19 लाख
दूजोद गांव निवासी किसान दशरथ कुमार ने बताया कि इस बार उसने साढ़े ग्यारह बीघा में प्याज की खेती की है। प्याज में कुल एक लाख 95 हजार 862 रुपए की लागत आई और एक लाख 19 हजार 600 रुपए का प्याज मंडी में बिका है। ऐसे में किसान को इस बार प्याज की खेती में 76262 रुपए का नुकसान झेलना पड़ा है।
अलवर: 18 से 20 रुपए किलो पहुंचे भाव
अलवर में इस समय प्याज का भाव थोक में 8 से 10 रुपए है जबकि रिटेल भाव 18 से 20 रुपए किलो है। अलवर में प्रतिवर्ष 40 से 50 हेक्टेयर में फसल की पैदावार होती है। राजस्थान फल सब्जी आलू थोक व्यापार महासंघ के अध्यक्ष अभय सैनी प्रधान पप्पू सैनी ने बताया कि पूर्वी राजस्थान में अलवर में प्याज की पैदावार अच्छी होती है। यहां की प्याज दूर दूर तक जाती है। अलवर में इन दिनों महाराष्ट्र, एमपी से प्याज आ रही है। अलवर में प्याज की फसल के लिए अभी बीज तैयार हो रहा है। आठवें महीने के बाद प्याज आएगी।
झालावाड़: सस्ते भाव में बेचने को मजबूर
झालावाड़ जिले में पिछले कुछ सालों से किसानों का रूझान प्याज की खेती की ओर बढऩ लगा है। इस साल प्याज के दामों में भारी गिरावट आई है। इस कारण किसानों को प्याज की खेती में घाटा हो रहा है। किसानों को औने-पौने दामों पर प्याज बेचने को विवश होना पड़ रहा है। किसानों का प्याज मंडियों में 4 से 6 रुपए किलो बिक रहा है। इससे किसान परेशान हैं।
दगा दे रहे भाव
किसानों ने इस बार प्याज की बुआई कर भाग्य आजमाया था। उत्पादन कमजोर होने के बावजूद प्याज की मांग नहीं है। किसान रमेशचंद्र बहादुर सिंह प्याज बेचने नीमच मंडी गए थे, जहां मात्र 4 रुपए किलो के भाव से बिकना पड़ा है। इससे भाड़ा भी नहीं निकल पाया है।
परेशान है किसान
भालता निवासी किसान गोपाल गुर्जर ने बताया कि प्याज लहसुन की फसल हर साल पैदा करते हैं। दोनों फसलों के भाव न्यूनतम स्तर पर रहने से किसान वर्ग परेशान हैं। मध्यप्रदेश से महंगा बीज लाकर चौपाई की थी। उपसली के किसान संतराम भील ने कहा कि 3 बीघा जमीन में प्याज तथा 2 बीघा में लहसुन की बुआई की गई थी। चार रुपए किलो दाम होने के कारण घरों में भी भण्डारण किया है।