ओडीडी को एक व्यवहार विकार माना जाता है जो सभी बच्चों में से 5 फीसदी को प्रभावित करता है। ओडीडी के लक्षणों और संकेतों में बहस करने की प्रवृत्ति, आसानी से नाराज होना और बार-बार गुस्सा न होना शामिल है- खासकर जब उन्हें अपनी मनमर्जी करने का मौका नहीं मिलता है। ऐसे बच्चे अपने माता-पिता, साथियों, शिक्षकों और अन्य के प्रति असहयोगी होते हैं। वे तब भी ‘नहीं’ कहते हैं, जब ‘हां’ कहने से खुद उनका कोई स्पष्ट फायदा हो रहा है।
आप यह कैसे पता लगा सकते हैं कि आपके बच्चे का व्यवहार सामान्य है या वह ओडीडी के दायरे में आता है। जब आप इस बच्चे को उसकी मर्जी के खिलाफ कुछ करने के लिए कहते हैं, तो 10 में से कितनी बार वे बहस या लड़ाई किए बिना ऐसा करेंगे? अधिकांश बच्चे बिना किसी समस्या के 10 में से 7 से 8 बार आज्ञा का पालन करेंगे। अधिकांश ओडीडी बच्चों के लिए, हालांकि, यह उत्तर आमतौर पर 3 या उससे कम है बल्कि कई के लिए तो जीरो है। आवश्यकता होने पर आप बाल मनोविशेषज्ञ की सलाह ले सकते हैं।
कई चीजें हैं जो आप रोजमर्रा के आधार पर कर सकते हैं ताकि आपको अपने अपोजिटल डिफिसेंट डिसऑर्डर वाले बच्चे को संभालने में मदद मिल सके।
जब आप ओडीडी से ग्रस्त बच्चों या किशोर को विकल्प देते हैं जब वे कुछ कर सकते हैं और ‘नहीं’ पर अड़ने की आशंका घट जाती है। उन्हें थोड़ा वक्त दें
जब आपका बच्चा या किशोर एक किसी नकारात्मक विचार या ‘न’ के व्यवहार में फंस जाता है, तो उन्हें थोड़ा समय दें, बहुत संभव है कि थोड़ी देर बाद आप उनकी ‘न’ को ‘हां’ में बदलवा लें।
अपने बच्चे पर केवल तभी ध्यान मत दें जब जब वे दुव्र्यवहार कर रहे हैं या दोषपूर्ण हो रहे हैं, बल्कि तब भी उन्हें सकारात्मक मजबूती देने की कोशिश करते रहे, जब आपका बच्चा आज्ञाकारी और सहमत हो रहा हो।
जब बच्चा किसी तर्कपूर्ण स्थिति में फंस जाता है तो आग और भड़कने न देना महत्वपूर्ण है। तर्क वितर्क न करें। शांत रहने से आपके बच्चे को विरोधी विचारों से दूर रहने में मदद मिलेगी।
अपने स्वयं के व्यवहार की जांच करें कि क्या खुद आप भी डिफाइंट प्रवृत्ति के हैं। एक अति सक्रिय और सख्त परिवारों में अक्सर माता-पिता खुद भी जुनूनी विचार, बाध्यकारी व्यवहार या न झुकने वाली व्यक्तित्व शैली के बन जाते हैं, ऐसे में बच्चे के ओडीडी होने के चांस अधिक है। खुद अपनी सोच में अधिक लचीले होने का प्रयास करें।