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world organ donation day 2019: मरकर भी रहोगे जिंदा

locationजयपुरPublished: Aug 13, 2019 06:36:33 pm

Submitted by:

Anil Chauchan

world organ donation day 2019: प्रदेश के Hospitals में हर साल ब्रेन डेड के हजारों मरीज आते हैं, लेकिन Organ Donation के प्रति Awareness के अभाव के चलते अंगदान नहीं हो पाते हैं। ऐसे में Organ प्राप्त करने वालों की List लगातार बढ़ती जा रही है। Rajasthan में Cadaver Transplant की सुविधा शुरू हुए चार Year हो चुके हैं।

organ donation

Organ Donation

जयपुर . प्रदेश ( Rajasthan ) के अस्पतालों ( Hospitals ) में हर साल ब्रेन डेड के हजारों मरीज आते हैं, लेकिन अंगदान ( Organ donation ) के प्रति awareness के अभाव के चलते अंगदान नहीं हो पाते हैं। ऐसे में अंग ( Organ ) प्राप्त करने वालों की लिस्ट ( list ) लगातार बढ़ती जा रही है। राजस्थान में केडेवर ट्रांसप्लांट ( cadaver Transplant ) की सुविधा शुरू हुए चार साल ( Year ) हो चुके हैं। पूर्व चिकित्सा मंत्री ( health minister ) राजेन्द्र राठौड़ ने केडेवर ट्रांसप्लांट को ड्रीम प्रोजेक्ट ( dream project ) में शामिल किया, लेकिन अभी तक एसएमएस अस्पताल ( sms hospital ) में हार्ट ( Heart ) ट्रांसप्लांट ( Transplant ) की सुविधा ( facility ) नहीं है।
विश्व अंगदान दिवस
– पांच साल पहले मिली थी राजस्थान में केडेवर ट्रांसप्लांट की अनुमति
– एसएमएस अस्पताल में नहीं हो सका एक भी हार्ट ट्रांसप्लांट
– हर साल आते हैं हजारों मरीज पर नहीं हो पाता है केडेवर ट्रांसप्लांट
– अंगदान की जागरुकता के लिए आगे आ रही हैं सामाजिक संस्थाएं
अंगदान को लेकर कई स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आ रही हैं। अंगदान दो तरह से होता है। एक तो स्वैच्छिक अंगदान और दूसरा ब्रेन डेड मरीज का अंगदान जिसे केडेवर ट्रांसप्लांट भी कहा जाता है। जहां भी ब्रेन डेड मरीज घोषित किया जाता है वहां स्वयंसेवी संस्था के सदस्य जाकर अंगदान के लिए परिजनों को प्रेरित करते हैं। जो परिजन मान जाते हैं उनके ब्रेन डेड मरीज की पूरी जांचों के बाद उसके अंगों को दूसरे मरीज के लिए निकालने की प्रक्रिया शुरू होती है। एक ब्रेन डेड मरीज मुख्य रूप से आठ तरह के अंगों को दान कर सकता है। इन अंगों में किडनी, लंग्स, हार्ट, आई, लिवर, पेनक्रियाज, कोर्निया व स्कीन टिशु शामिल हैं।
केडेवर ट्रांसप्लांट के लिए ये नियम
– चिकित्सकों की कमेटी घोषित करती है मरीज को ब्रेन डेड
– अंगदान करने से पहले की जाती है परिजनों की काउंसलिंग
– ब्रेन डेड मरीज के अंगदान के लिए नहीं किया जा सकता बाध्य
– राजस्थान की वेब रजिस्ट्री से मिलती है अंग पाने वाले मरीज की जानकारी
केडेवर अंगदान के लिए बनी चिकित्सकों की कमेटी ही मरीज को ब्रेन डेड घोषित करती है। उसके बाद मरीज के परिजनों को ब्रेन डेड मरीज के अंगों का दान करने के लिए उनकी काउंसलिंग की जाती है। इसके लिए पूरे मापदंड बने हुए हैं। यानि, किसी भी परिजन को बाध्य कर इसके लिए तैयार नहीं किया जा सकता। इसके अलावा स्वैच्छिक में संबंधित व्यक्ति खुद की इच्छा से अंगदान करता है।

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