अंगदान का संकल्प किसी व्यक्ति को दे सकता है दूसरा जीवन
मृत्यु के बाद अंगदान को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने और इसके रास्ते में आ रही चुनौतियों से निपटने की योजना बनाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन एंड लॉ में बुधवार को ‘मोड-मेक ऑर्गन डोनेशन ईजी’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में श्वेत पत्र की सिफारिशों पर पैनल परिचर्चा आयोजित की गई और देश में अंग दान का एक व्यवस्थित ढांचे के अभाव को दूर करने की बात कही गई।

Jaipur मृत्यु के बाद अंगदान को लेकर जागरूकता को बढ़ावा देने और इसके रास्ते में आ रही चुनौतियों से निपटने की योजना बनाने के लिए इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिन एंड लॉ में बुधवार को ‘मोड-मेक ऑर्गन डोनेशन ईजी’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन में श्वेत पत्र की सिफारिशों पर पैनल परिचर्चा आयोजित की गई और देश में अंग दान का एक व्यवस्थित ढांचे के अभाव को दूर करने की बात कही गई। इस कार्यक्रम में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया। चिकित्सीय पहलुओं का जिक्र करते हुए सीके बिरला हॉस्पिटल के डायरेक्टर नेफ्रोलॉजी एंड किडनी ट्रांसप्लांटेशन डॉ. आलोक जैन ने कहा कि हमारे राज्य में किडनी के लंबी अवधिवाले मरीजों की संख्या को देखते हुए हमें ज्यादा किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता है। इस विषय पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता महेंद्र कुमार बाजपेयी ने कहा कि देश को ऐसे केंद्रीय कानूनकी आवश्यकता है जो मृत्यु को परिभाषित करे। जन्म, मृत्यु पंजीकरण अधिनियम इस समय संशोधन के दौर में है और इसमें ब्रेन डेथ को भी मृत्यु में शामिल किया जाना चाहिए। एमएफजेसीएफ की समन्वयक ी भावना जगवानी ने कहा कि अंगदान लोगों के लिए अपनेजीवन को समृद्ध बनाने का एक अवसर होता है, जो दूसरों को स्वस्थ जीवन जीने का अवसर देते हैं। पीडीयू राजकीय महाविद्यालय की फैकल्टी मेंबर डॉ. उपासना चौधरी ने कहा कि अंग प्रत्यारोपण की बढ़तीमांग को देखते हुए देश में अंगदान के मौजूदा प्रतिशत को बढ़ाने के लए जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है।
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