भले ही फिल्मी लगे, पर सच है चार जिंदगियां बचाने की यह कोशिश
— सामूहिक और सच्चे प्रयास लाए रंग

जयपुर। कहते हैं जब मदद करने की मंशा ठीक हो तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं। ऐसी ही साफ नियत थी जयपुर के डॉक्टर्स की। कोशिश थी चार जिंदगियां बचाने की और इस कोशिश में इन चिकित्सकों को साथ दिया एयर इंडिया ने। दरअसल, जयपुर के एक निजी अस्पताल में एक महिला का निधन हो गया था। महिला की मौत के बाद परिजनों ने 48 वर्षीय इस महिला के किडनी, लिवर और फेफड़े दान कर दिए। दिल्ली में जिंदगी की जंग लड़ रहे चार लोगों को इन अंगों की बेहद जरूरत थी। जब डॉक्टर्स को इसका पता चला तो उन्हें ये अंग जल्द से जल्द दिल्ली भेजनी की योजना बनाई। जयपुर एयरपोर्ट पर बात करने पर जयपुर—दिल्ली फलाइट के बारे में जानकारी मिली। सूत्रों के अनुसार इन अंगों को भेजने के लिए एयर इंडिया व जयपुर एयरपोर्ट के अफसरों से बात करके जयपुर से दिल्ली जाने वाले विमान को 15 मिनट के लिए रुकवाया और सभी अंग सही समय पर दिल्ली पहुंचाए गए।
तीस मिनट और बच गईं चार जानें
इस पूरे आॅपरेशन में डॉक्टर्स के साथ ही एयरलाइंस कंपनी और जयपुर एयरपोर्ट की बड़ी भूमिका रही। एयरलांइस ने जहां अधिकारियों से बात कर चार जिंदगियां बचाने के लिए अपनी उड़ान पंद्रह मिनट तक रोकी रही। वहीं निजी अस्पताल में लगभग 30 मिनट में डॉक्टरों की एक टीम ने पैरामेडिकल स्टाफ के साथ मिलकर फेफड़े, किडनी और लिवर प्रत्यारोपित कर अधिकारियों तक पहुंचाया। एयरलाइंस की सीईओ हरप्रीत एडी सिंह ने इस प्रयासों के लिए सभी को बधाई दी है। उन्होंने कहा कि हमें खुशी है कि हम इस जीवन रक्षक उड़ान का हिस्सा बने। हमारा उद्देश्य व्यवसाय और सामाजिक जिम्मेदारी के लक्ष्यों को पूरा करते हुए एक सुरक्षित और कुशल संचालन के माध्यम से क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ाना है।
हर साल लाखों मौतें
आपको बता दें कि भारत में अंगदान के प्रति लोगों में धीरे—धीरे जागरुकता आ रही है। देश में हर साल हजारों जानें अंगदान के अभाव में चली जाती हैं। भारत में एक लाख पर मात्र 0.65 अंगदाता है। वहीं स्पेन में यह आंकड़ा एक लाख में 35 प्रतिशत और यूएस में 26 प्रतिशत है। ऐसे में हम विश्व के अन्य देशों से काफी पीछे हैं। एम्स के आकड़ों के अनुसार साल 2019 में डेढ़ से दो लाख लोगों को किडनी प्रत्यारोपित करने की आश्वयकता थी, लेकिन मात्र आठ हजार लोगों को ही किडनी मिल पाई। वहीं अस्सी हजार मरीजों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत थी, लेकिन मात्र 1800 लोगों को ही लिवर मिल पाया।
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