राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट होने के लिए गहलोत कैंप के साथ-साथ पायलट कैंप से जुड़े नेता लगातार लॉबिंग कर रहे हैं, लेकिन बदले हालातों के बाद संगठन से जुड़े नेताओं को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट किया जा सके, इसकी संभावना बहुत ही कम है। प्रदेश कांग्रेस के गलियारों में इस तरह की चर्चाएं तेज हैं। सूत्रों की माने तो इस तरह की चर्चाएं होने के बाद पिछले डेढ़ साल से राजनीतिक नियुक्तियों का इंतजार कर रहे नेताओं के सपने टूटते नजर आ रहे हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार पर कांग्रेस दुविधा में
विश्वस्तों की माने तो मंत्रिमंडल में 10 मंत्री और बनाए जा सकते हैं, लेकिन गहलोत सरकार के सामने सबसे बड़ी दुविधा ये है कि इन 10 रिक्त स्थानों के लिए किसे लिया जाए या किसे नहीं। जबकि सरकार बचाने में पूरे एक महीने बाड़ाबंदी में 102 विधायक सरकार के साथ थे। ऐसे में मंत्रिमंडल के लिए विधायकों में से चुनाव करना सरकार के लिए बड़ी परेशानी है।
मंत्रिमंडल विस्तार के बाद विधायकों की नाराजगी सरकार को न झेलनी पड़े, इसके लिए विधायकों राजनीतिक नियुक्तियो में प्रमुख बोर्ड, आयोगों और निगमों में एडजस्ट कर उन्हें सत्ता में भागीदारी दी जाएगी, जिससे विधायक सरकार के साथ पूरी निष्ठा से जुड़े रहें। यही वजह है कि संगठन से जुड़े नेताओं को इस बार प्रमुख बोर्ड, निगमों और आयोगों में स्वयं का नंबर लगता नजर नहीं आ रहा।
निर्दलीय-बसपा से आए विधायकों को मिलेगा मौका
बताया जाता है कि सीएम गहलोत की मंशा है कि सरकार का समर्थन कर रहे 13 निर्दलीयों में एक या दो विधायकों को मंत्री बनाकर अन्य निर्दलीय विधायकों को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट कर राज्यमंत्री और कैबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया जाए। वहीं बसपा से भी एक या दो विधायकों को मंत्रिमंडल में लेकर अन्य को राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट किया जाए।
राजनीतिक नियुक्तियों में गहलोत समर्थकों रहा वर्चस्व
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पिछले दो कार्यकाल देखें जाएं तो दोनो बार ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से समर्थक अधिकांश नेताओं को ही राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट किया जाता है। प्रमुख बोर्ड, आयोग, और निगमों में गहलोत समर्थक नेता ही नजर आते थे, लेकिन इस बार राजनीतिक नियुक्तियों में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अपने समर्थकों के साथ पांच साल जमीन पर पार्टी के लिए काम करने वाले नेताओं को ही राजनीतिक नियुक्तियों में एडजस्ट करने की बात करते आए हैं। जिसके चलते पिछले डेढ़ साल से राजनीतिक नियुक्तियां अटकी हुई हैं।
10 हजार से ज्यादा राजनीतिक नियुक्तियां होगी
वहीं प्रदेश भर में निगम, बोर्ड, आयोगों, यूआईटी के अलावा प्रदेश, जिला, और ब्लॉक लेवल पर 10 हजार से ज्यादा राजनीतिक नियुक्तियां की जानी है।