इसके लिए वीजा घरेलू नियामकों और अपने बैंकिंग पार्टनरों के साथ चर्चा करेगी। इसमें देखा जाएगा कि कैसे समय के साथ 2एफए नियमों में ढील दी जा सकती है। कंपनी चाहती है कि कार्डों के ट्रांजेशन के मामले में अंतरराष्ट्रीय नियमों की तर्ज पर बदलाव हों। वीजा में हेड ऑफ रिस्क जो कुनिंघम ने कहा कि हमें लगता है कि 2एफए अहम है। लेकिन, हमारा मानना है कि इसका इस्तेमाल जोखिम के आधार पर हो। हमारी इंडस्ट्री की वास्तविक ग्रोथ ई-कॉमर्स सेगमेंट में हो रही है। ग्राहकों को अच्छा अनुभव देने के लिए हमें कुछ अड़चनें हटाने की जरूरत है।
ओटीपी के बिना वाले ट्रांजेक्शन ‘ईएमवी 3डी सिक्योर’ के जरिए होंगे। हाल में सिंगापुर और ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों ने इस प्रक्रिया को अपनाया है। कनिंघम का कहना है कि अगर आप जोखिम आधारित नजरिया अपनाते हैं तो ज्यादातर ट्रांजेक्शन बिना किसी बाधा के होंगे। ज्यादातर लेनदेन अमूमन कम वैल्यू के होते हैं। ये परिचित आइपी एड्रेस से होते हैं। इस कदम से डिजिटल पेमेंट और ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
अमूमन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन को सुरक्षा की दो परतों से सत्यापित किया जाता है। इसी को टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन कहते हैं। ट्रांजेक्शन को मंजूरी देनी की पहली परत में ग्राहक से कार्ड का विवरण और सीवीवी इत्यादि जैसी जानकारी मांगी जाती है। दूसरे चरण में ओटीपी देने के लिए कहा जाता है। यह ग्राहकों के मोबाइल नंबर पर भेजा जाता है। वीजा को लगता है कि सभी तरह के ट्रांजेक्शनों में इसकी जरूरत नहीं है।