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हर मिनट नष्ट हो रही ओजोन की परत

locationजयपुरPublished: Sep 16, 2019 05:55:36 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

विश्व ओजोन दिवस आजहर मिनट नष्ट हो रही ओजोन की परतमोतियाबिंद और स्किन कैंसर का खतरा बढ़ागाडि़यों और फैक्ट्रियों से बढ़ रहा प्रदूषणजीवनशैली में बदलाव हुआ जरूरी

हर मिनट नष्ट हो रही ओजोन की परत

हर मिनट नष्ट हो रही ओजोन की परत

अस्पतालों में रोजाना त्वचा रोग के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। आपको पता है एेसा क्यों होता है? धरती और इंसान का सुरक्षा कवच कही जाने वाली ओजोन पर्त नष्ट हो रही है। अगर हमने ओजोन की परत की रक्षा नहीं की तो आने वाले दिनों में और भी घातक बीमारियों का सामना करना होगा। इससे बचने के लिए हमें धरती के आसपास विद्यमान ओजोन गैस को बढऩे से रोकना होगा। प्रदूषण सीधे तौर पर ओजोन की पर्त को नुकसान पहुंचा रहा है। गाडि़यों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और गैस को नियंत्रित करने की जरूरत है।
वायुमंडल में २० से ४० किलोमीटर के बीच पाई जाने वाली ओजोन परत पृथ्वी को सूर्य से आने वाली हानिकारक अल्ट्रा वायलट किरणों से बचाती है। अगर ओजोन परत न हो तो मानव जीवन सकट में पड़ सकता है, क्योंकि अल्ट्रा वाइलट किरणें अगर सीधे बिना ओजोन से गुजरे धरती तक पहुंच जाए तो न सिर्फ मनुष्य बल्कि पेड़-पौधों और जानवरों के जीवन के लिए खतरनाक साबित हो सकती है,ये किरणों हमारे शरीर कैंसर जैसी भयानक बीमारियों का कारक बन सकती है ऐसे में ओजोन परत का संरक्षण बेहद महत्वपूर्ण है। आज ओजोन डे है, इस मौके पर जानिए यह क्यों नष्ट हो रही है, इंसान इससे कितना प्रभावित होगा और इसे रोकने के उपाय क्या हैं?।
क्या है ओजोन परत?
– के वायुमंडल की एक परत है ओजोन
– ओजोन होती है एक हल्के नीले रंग की गैस
– ओजोन आक्सीजन के तीन परमाणुओं का यौगिक है
– ओजोन परत सामान्यत धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है।
– ओजोन सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए फिल्टर का काम करती है
– सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से हमें बचाती है,
– मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में हुआ एक छेद
– 1913 में फ्रांस के वैज्ञानिक फैबरी चाल्र्स और हेनरी बुसोन ने की ओजोन परत की खोज
कैसे हो रहा है ओजोन परत को नुकसान ?
– बड़े स्तर पर मिसाइलों का प्रक्षेपण
– मिसाइलों की अनियंत्रित लान्चिंग
– बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग
– ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन

इंसानों को नुकसान
बढ़ रही है अंधता
ओजोन परत के क्षतिग्रस्त होने का खामियाजा इंसानों को उठाना पड़ रहा है। दुनियाभर में अंधता बढऩे का सबसे बड़ा कारण है मोतियाबिंद। शोध के मुताबिक, ओजोन की परत 1 प्रतिशत और नष्ट होती है तो 0.6 फीसदी तक मोतियाबिंद के मामले बढ़ जाएंगे। अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन से बनने वाला ऑक्सिडेटिव ऑक्सीजन आंखों के लेंस को गंभीर रूप से डैमेज कर सकता है।
बढ़ रहे स्किन कैंसर के मामले
धरती तक पहुंचने वाली पराबैंगनी किरणों सबसे पहले शरीर के बायोमॉलीक्यूल को बदलती हैं जो कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है। त्वचा पर सीधे पडऩे के कारण स्किन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। ये किरणें स्किन डैमेज के अलावा सनबर्न, ब्रेस्ट कैंसर और ल्यूकीमिया की वजह भी बन सकती हैं। ये किरणें शरीर की रोगों से लडऩे की क्षमता घटाती हैं जिसके कारण कैंसर और संक्रमण का खतरा बढ़ता है। ओजोन पर्त को जितना ज्यादा नुकसान होगा उतना ज्यादा रोगों से लडऩे की क्षमता घटेगी। शरीर के डीएनए में मौजूद लिपिड, प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड के बदलाव का कारण पराबैंगनी किरणे हैं। जो डीएनए को डैमेज करती हैं। ओजोन पर्त की नष्ट होने की दर एक फीसदी बढऩे पर कैंसर के मामलों में 2 फीसदी इजाफा होगा। इसका असर फेफड़ों पर होगा जो ब्रॉन्काइटिस और अस्थमा के के रूप में दिखेगा।
जैव विविधता पर असर
पराबैंगनी किरणों का असर जैविक विविधता पर भी पड़ता है और कई फसलें नष्ट हो सकती हैं। इनका असर सूक्ष्म जीवाणुओं पर होता है। इसके अलावा यह समुद्र में छोटे.छोटे पौधों को भी प्रभावित करती जिससे मछलियों व अन्य प्राणियों की मात्रा कम हो सकती है।
बदलें जीवन शैली
– रुई के गद्दों का करें प्रयोग
– मट्टी के कुल्हड़ों, पत्तलों, धातु या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें।
– पारंपरिक रूई के गद्दों एवं तकियों का प्रयोग करें
– सीएफसी रहित उत्पाद को खरीदें
– एसी और फ्रिज का प्रयोग सावधानी से करें
ओज़ोन परत के इसी महत्व को ध्यान में रखते हुए पिछले दो दशक से इसे बचाने के लिए कार्य किए जा रहे हैं। लेकिन 23 जनवरी, 1995 को यूनाइटेड नेशन की आम सभा में पूरे विश्व में इसके प्रति लोगों में जागरूकता लाने के लिए 16 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय ओज़ोन दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया। उस समय लक्ष्य रखा गया कि पूरे विश्व में 2010 तक ओज़ोन फ्रेंडली वातावरण बनाया जाए। हालांकि अभी भी लक्ष्य दूर है लेकिन ओज़ोन परत बचाने की दिशा में विश्व ने उल्लेखनीय कार्य किया है। ओज़ोन परत को बचाने की कवायद का ही परिणाम है कि आज बाज़ार में ओज़ोन फ्रेंडली फ्रिज, कूलर आदि आ गए हैं। इस परत को बचाने के लिए ज़रूरी है कि फोम के गद्दों का इस्तेमाल न किया जाए। प्लास्टिक का इस्तेमाल कम से कम हो।
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