– के वायुमंडल की एक परत है ओजोन
– ओजोन होती है एक हल्के नीले रंग की गैस
– ओजोन आक्सीजन के तीन परमाणुओं का यौगिक है
– ओजोन परत सामान्यत धरातल से 10 किलोमीटर से 50 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच पाई जाती है।
– ओजोन सूर्य से निकलने वाली पराबैंगनी किरणों के लिए फिल्टर का काम करती है
– सूर्य से निकलने वाली खतरनाक किरणों से हमें बचाती है,
– मगर जहरीली गैसों से ओज़ोन परत में हुआ एक छेद
– 1913 में फ्रांस के वैज्ञानिक फैबरी चाल्र्स और हेनरी बुसोन ने की ओजोन परत की खोज
– बड़े स्तर पर मिसाइलों का प्रक्षेपण
– मिसाइलों की अनियंत्रित लान्चिंग
– बढ़ती ग्लोबल वॉर्मिंग
– ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन इंसानों को नुकसान
बढ़ रही है अंधता
ओजोन परत के क्षतिग्रस्त होने का खामियाजा इंसानों को उठाना पड़ रहा है। दुनियाभर में अंधता बढऩे का सबसे बड़ा कारण है मोतियाबिंद। शोध के मुताबिक, ओजोन की परत 1 प्रतिशत और नष्ट होती है तो 0.6 फीसदी तक मोतियाबिंद के मामले बढ़ जाएंगे। अल्ट्रा वॉयलेट रेडिएशन से बनने वाला ऑक्सिडेटिव ऑक्सीजन आंखों के लेंस को गंभीर रूप से डैमेज कर सकता है।
धरती तक पहुंचने वाली पराबैंगनी किरणों सबसे पहले शरीर के बायोमॉलीक्यूल को बदलती हैं जो कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है। त्वचा पर सीधे पडऩे के कारण स्किन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। ये किरणें स्किन डैमेज के अलावा सनबर्न, ब्रेस्ट कैंसर और ल्यूकीमिया की वजह भी बन सकती हैं। ये किरणें शरीर की रोगों से लडऩे की क्षमता घटाती हैं जिसके कारण कैंसर और संक्रमण का खतरा बढ़ता है। ओजोन पर्त को जितना ज्यादा नुकसान होगा उतना ज्यादा रोगों से लडऩे की क्षमता घटेगी। शरीर के डीएनए में मौजूद लिपिड, प्रोटीन और न्यूक्लिक एसिड के बदलाव का कारण पराबैंगनी किरणे हैं। जो डीएनए को डैमेज करती हैं। ओजोन पर्त की नष्ट होने की दर एक फीसदी बढऩे पर कैंसर के मामलों में 2 फीसदी इजाफा होगा। इसका असर फेफड़ों पर होगा जो ब्रॉन्काइटिस और अस्थमा के के रूप में दिखेगा।
पराबैंगनी किरणों का असर जैविक विविधता पर भी पड़ता है और कई फसलें नष्ट हो सकती हैं। इनका असर सूक्ष्म जीवाणुओं पर होता है। इसके अलावा यह समुद्र में छोटे.छोटे पौधों को भी प्रभावित करती जिससे मछलियों व अन्य प्राणियों की मात्रा कम हो सकती है।
– रुई के गद्दों का करें प्रयोग
– मट्टी के कुल्हड़ों, पत्तलों, धातु या कांच के बर्तनों का प्रयोग करें।
– पारंपरिक रूई के गद्दों एवं तकियों का प्रयोग करें
– सीएफसी रहित उत्पाद को खरीदें
– एसी और फ्रिज का प्रयोग सावधानी से करें