उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार बनने के बाद से भ्रष्टाचार का जो ललित गेट काण्ड से सिलसिला शुरू हुआ वो समय के साथ बढ़ता ही गया, प्रदेश में हुए खनन घोटाले में केन्द्र सरकार की गाइड लाइन की अवहेलना कर केवल 73 दिनों में लगभग 1 लाख बीघा जमीन में 653 खानों का गलत आवंटन किया गया जिससे प्रदेश को लगभग 45 हजार करोड़ का नुकसान हुआ। इस आवंटन प्रक्रिया में एक दिन में 10 से 12 खानों का आवंटन किया गया और इस घोटाले के प्रमुख आरोपी प्रशासनिक अधिकारी को ढ़ाई करोड़ रुपए रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया, इसके बावजूद उन्हें ना सिर्फ मुख्यमंत्री की अभिशंषा पर बहाल किया गया वरन् प्रमुख शासन सचिव के पद पर पदोन्नत भी कर दिया गया जो भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार को प्रश्रय देने व उसे संस्थागत करने का जीता-जागता उदाहरण है।
उन्होंने कहा कि एक और सबसे अचम्भित करने वाली बात यह है कि लोकायुक्त जांच का दावा करने वाली सरकार ने अब तक ना तो जांच हेतु खनन घोटाले की फाइलें लोकायुक्त कार्यालय सुपुर्द की है और ना ही लोकायुक्त कार्यालय द्वारा इस प्रकरण में विशेष दिलचस्पी दिखाई गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की मिलीभगत से अवैध बजरी खनन ने संस्थागत रूप ले लिया है जिसकी वजह से 8 से 10 हजार रुपये में मिलने वाला ट्रक 24 से 30 हजार रुपये में मिल रहा है।
पायलट ने कहा कि इसके अलावा पीएचईडी विभाग में करोड़ों रुपए का एलईडी घोटाला हुआ है और स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए का गबन खुलेआम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि 40 करोड़ रुपए का पोषाहार घोटाला हाल ही में संज्ञान में आया है और इससे पूर्व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के अधीन भी करोड़ों रुपयों के भ्रष्टाचार के प्रकरण सार्वजनिक हुए है। उन्होंने कहा कि एनआरएचएम में हुए भ्रष्टाचार के प्रति सरकार ने नरम रूख अपनाकर साबित किया है कि यह सरकार ना सिर्फ भ्रष्टाचार की जननी है बल्कि उसकी पोषक भी है।