माना जा रहा है कि 2015 के चुनाव में जिला परिषदों में कांग्रेस को मिली हार के बाद सरकार अभी से गांवों में पार्टी की पकड़ मजबूत करने के लिए प्रयासरत है। शिविरों के लिए पंचायत राज विभाग ने सभी जिला कलक्टरों और जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
जिलों में जिला परिषद के सीईओ इन शिविरों के नोडल अधिकारी होंगे। शिविरों में पट्टा वितरण, भूखंड आवंटन, केन्द्र की मानधन योजना में पंजीकरण, सामाजिक सुरक्षा पेंशन पंजीकरण, महिला शक्ति समूहों का गठन आदि काम किए जाएंगे। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने इन शिविरों की विधानसभा में घोषणा की थी।
5 कार्य अनिवार्य तौर पर कराने को कहा
शिविर राज्य की सभी 9893 ग्राम पंचायतों में सुबह 10 से शाम 5 बजे तक लगेंगे। हर राजस्व गांव में सरकार ने 5 कार्य अनिवार्य तौर पर कराने को कहा है। इनमें चरागाह विकास, सामुदायिक जलाशयों का निर्माण, श्मशान व कब्रिस्तान का विकास, खेल मैदान का विकास, सड़क मरम्मत या नई सड़क निर्माण के कार्य शामिल हैं।
शैक्षणिक योग्यता संबंधी बाध्यता समाप्त
राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद उसके शुरुआती निर्णयों में भी पंचायत चुनाव का मसला प्रमुख रहा था। भाजपा सरकार में पंचायत प्रतिनिधियों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता अनिवार्य की गई थी। कांग्रेस ने इसका विरोध करते हुए घोषणा की थी कि सत्ता में आने पर यह बाध्यता हटाई जाएगी। यह बाध्यता सरकार बनने के बाद समाप्त कर भी दी गई।