प्रदेश में अभी तक केवल 13 जिलों के जिला परिषद, पंचायत समितियों और ग्राम पंचायतों में जैव विविधता प्रबंध समिति के गठन का प्रस्ताव बनाकर सरकार को भेजा गया है। जबकि विभाग इसके गठन को लेकर पूर्व में तीन बार पत्र लिख चुका है। जैव विविधता प्रबंध समितियों के गठन में दिलचस्पी नहीं दिखाने पर अब पंचायत राज विभाग ने सख्त रुख अपनाया है।
पंचायत राज विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश्वर सिंह ने 22 अगस्त 2019 को चौथी बार सभी जिला परिषदों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को पत्र लिखकर इस मामले को गंभीरता से लेने और जैव विविधता प्रबंध समितियों का प्रस्ताव बनाकर 15 दिनों के भीतर विभाग को भिजवाने के निर्देश दिए हैं।
जैव-विविधता के संरक्षण, विवेकपूर्ण उपयोग तथा स्थानीय निवासियों को इससे उचित लाभ दिलाने वाला देश में जैव-विविधता अधिनियम 2002 लागू होने के 8 साल बाद राजस्थान सरकार ने 2010 में राज्य जैव-विविधता समितियों का गठन के लिए कार्यवाही शुरू की थी। इस एक्ट के तहत समस्त ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों में जैव विविधता प्रबध समितियों का गठन किया जाना था। इन समितियों का काम ये होगा कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में बॉयोलोजिकल डाईवर सिटी के संरक्षण के लिए समुचित कदम उठाएं।
जैव विविधता को लेकर जागरूक करना, जैव विविधता संरक्षण के महत्व के बारे में बताना, जैव विविधता प्रबंध संरक्षण के तहत जैव संसाधनों से प्राप्त होने वाले लाभों का स्थानीय समुदाय में समुचित बंटवारा सुनिश्चित करना, जैव विविधता को संरक्षित करने के उद्देश्य से जिला या नगर निगम क्षेत्र में ‘जैव विविधता विरासत स्थल’ स्थापित करने के लिए जैव विविधता वाले क्षेत्रों की पहचान करना, कृषि, पशु व घरेलू जैव विविधता को संरक्षण व बढ़ावा देना शामिल हैं।