जानिये कौन हैं कथा वाचक मुरलीधर ( Ram Katha Orator Murlidhar Biography )
मुरलीधर देश के जाने-पहचाने कथा वाचकों में से एक हैं। उनके श्रीमुख से राम कथा सुनने वालों की संख्या असंख्य है। यही वजह है कि आज मुरलीधर आध्यत्मिक जगत में अपनी एक अलग ही पहचान बना चुके हैं। कथा रसिकों की माने तो उनकी प्रभावशाली और भावुकता भरी कथा शैली श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर देती है। एक बार जिसने उनकी राम कथा का श्रवण कर लिया, वह राम रस में बिभोर हुए बिना नहीं रह सकता।
बताया जाता है कि मुरलीधर जब किशोरावस्था में थे तब ही परिवार सहित स्थायी रूप से निवास के लिए गुजरात से जोधपुर राजस्थान आ गया। जोधपुर रहकर ही उन्होंने अपनी स्नातकोत्तर शिक्षा ग्रहण की। उन्हें हिंदी, गुजराती, मारवाड़ी व अन्य स्थानीय भाषाओं में पूर्ण पारंगतता हासिल है। मुरलीधर का विवाह धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला मीना देवी के साथ 1991 में संपन्न हुआ।
स्टोन बिज़नस से जुड़े मुरलीधर
मुरलीधर ने युवावस्था में ही व्यवसाय के रूप में 1992 में पत्थर का व्यापार जोधपुर से शुरू किया। लेकिन मन और आत्मा अध्यात्म से ही जुड़ा रहा। कथा वाचन में उनकी रूचि बढ़ती रही जिसकी वजह से उन्होंने व्यवसाय को विराम दे दिया और पूरी तरह से कथा वाचन में ही रम गए। कथा वाचक मुरलीधर से कथा का रसपान करने ना केवल भारत से बल्कि विदेशों में भी श्रोता पहुंचते हैं।
बाड़मेर के जसोल में रामकथा के दौरान जो घटना घटी उससे मैं व्यथित हूं। कथा शुरुआत के समय हल्की हवा शुरू हुई और थोड़ी देर में छींटे आने लगे थे। तो मैंने श्रद्धालुओं से कहा कि परमात्मा ने कृपा कि है गर्मी से राहत मिलेगी और मिट्टी भी नहीं उड़ेगी। लेकिन कुछ क्षणों में जोर से बवंडर आया तो अचानक पांडाल उडऩे लगा तो मैंने उपस्थित लोगों से अपील की वे पांडाल को तुरंत खाली कर दें मैं कथा को विराम करता हूं। मेरा इतना ही कहना था कि तब तक पांडाल पूरा ही ऊपर उठ गया। मैंने लोगों से कहा भागिए पांडाल छोड़ दीजिए, लेकिन लोग पांडाल छोडऩे की बजाए पुन: अंदर आने लगे।