इस वर्ष जिले में बारिश की कमी के कारण रबी की फसल के लिए जमीन में नमी ही नहीं बची। इस मौसम में मावठ नही होने से भी किसान निराश हैं। जिले में औसम बरसात 275 मिमी ही रही जो वार्षिक औसत बरसात से बहुत कम है। इसके कारण रबी की फसल की कम क्षेत्र में बुवाई हुई है।
बीते वर्ष अलवर जिले में सरसों की पैदावार 2 लाख 35 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में हुई, जबकि गेहूं की बुवाई 2 लाख 15 हजार हैक्टेयर में हुई। इससे पूर्व 2014-15 में सरसों की बुवाई 2 लाख 31 हजार और गेहूं की बुवाई 2 लाख 20 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में हुइ है।
सन् 2013-14 में सरसों की बुवाई 2 लाख 39 हजार हैक्टेयर और गेहूं की बुवाई 2 लाख 83 हजार हैक्टेयर में हुई। बीते कई वर्षों से इन बड़ी फसलों का बुवाई क्षेत्र घटता जा रहा है। इस वर्ष सरसों की बुवाई 2 लाख 20 हजार तथा गेहूं की बुवाई 1 लाख 90 हजार हैक्टेयर में हुई है। इसी प्रकार चना, जौ व तारामीरा की बुवाई का भी रकबा घटा है। कृषि विभाग की ओर से इन फसलों की बुवाई के दिए गए लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया।
इस बार बरसात कम होने से रबी की फसल की बुवाई काफी कम हुई है। यदि बरसात नहीं हुई तो इसका प्रभाव इन फसलों के उत्पादन भी पड़ेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की समस्या सामने आ रही है।
पी.सी.मीणा, उपनिदेशक, कृषि विभाग अलवर
पी.सी.मीणा, उपनिदेशक, कृषि विभाग अलवर
अलवर जिले के राजगढ़ क्षेत्र के किसानों के लिए इस बार रबी फसल की बुवाई फीकी रही। बुवाई का समय निकल जाने के बाद भी लगभग 90 फीसदी खेत बिना बुवाई के खाली पड़े हैं। कई गांवों में तो बुवाई का प्रतिशत शून्य रहा है। इनमें गांव जिरावली, मुरलीपुरा, भांकरी, अलेई, डाबला, मूनपुर, कोठी नारायणपुर, जिरावली का बास, दुब्बी और भजेड़ा मुख्य हैं।
मयंक शर्मा, कोठी नारायणपुर, राजगढ़ अलवर
मयंक शर्मा, कोठी नारायणपुर, राजगढ़ अलवर