बच्चों के लिए पेरेंट्स का व्यवहार काफी प्रभावी होता है। पेरेंट्स को चाहिए कि वह अपने बच्चों को सामाजिक और मददगार बनाएं और इसके लिए वे बच्चों के सामने उदाहरण पेश करें। यानी पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के सामने लोगों की मदद करें। बच्चों को साथ लेकर उनकी हाथों से लोगों की मदद कराएं। पेरेंट्स जरूरतमंदों के प्रति हमदर्दी और उनकी मदद की सोच अपने व्यवहार से बच्चों को सिखाएं। बच्चा जब अपने माता-पिता को यह सब करते हुए देखता है तो इन सबके प्रति वह भी सकारात्मक बनता है और आगे चलकर उसका व्यवहार भी ऐसा ही कुछ बनता है।
आजकल की जिंदगी पूरी तरह भौतिक होती जा रही है। लोगों में सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाने की होड़ लगी रहती है। भागदौैड़ वाली इस जिंदगी में सुकून गायब सा होता जा रहा है। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को आध्यात्मिक बनाएं। पेरेंट्स खुद आस्तिक बनें और ईश्वर में आस्था रखें। यकीन करें कि कोई इस सृष्टि का पालक है। पेरेंट्स ध्यान लगाएं ताकि बच्चा यह सब देखकर खुद भी आस्थावान बनें।
बच्चों के सामने पेरेंट्स को अपना संघर्ष भी प्रस्तुत करना चाहिए। बच्चों के सामने यह जाहिर होना चाहिए कि जिंदगी किसी आसान चीज का नाम नहीं है। हर एक चीज यूं ही नहीं मिल जाती, संघर्ष करना पड़ता है। जिंदगी में धूप छांव आते रहते हैं। इनसे घबराने के बजाय दिलेरी से इनका मुकाबला करना चाहिए। बच्चे जब अपने मम्मी-पापा को समस्याओं से जूझाते और उससे जीत कर आगे बढ़ते देखेंगे, तभी वे समझा पाएंगे कि जिंदगी में मुश्किलें आती रहती हैं जिनसे हौसला रखकर पार पाना होता है।
पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों के सामने एक्सरसाइज करते रहें। माता-पिता को एक्सरसाइज करता देखकर वे भी इस ओर रुख करते हैं। उनके सामने एक्सरसाइज कर आप उन्हें अपने शरीर का सम्मान करना सिखाते हैं। बीच-बीच में आप उनको साथ लेकर भी एक्सरसाइज करें और जरूरी चीजें उन्हें सिखाएं भी। सेहत से संबंधित और अच्छी आदतें भी उनके सामने प्रस्तुत की जानी चाहिए।