हाथ न उठाएं
यह भी कई बार देखने में आता है कि बच्चों द्वारा अधिक जिद्द करने या बात न मानने की स्थिति में अभिभावक बच्चे पर गुस्सा होकर हाथ उठा देते हंै। ध्यान रखें बच्चे पर हाथ उठाना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि इससे मामला अधिक बिगड़ता ही है। मान लीजिए आप बार-बार बच्चे के साथ मारपीट वाला रवैया ही अपनाते हैं तो बच्चे की आदत भी बिगड़ सकती है, वह अधिक जिद्दी बन सकता है। ऐसे में बेहतर यही है कि उस पर हाथ उठाने के बजाय उसे अच्छे से समझााएं और यकीन दिलाएं कि यह ना कहना पैरेंट्स के लिए ही नहीं बल्कि खुद बच्चे के हित में भी है।
यह भी कई बार देखने में आता है कि बच्चों द्वारा अधिक जिद्द करने या बात न मानने की स्थिति में अभिभावक बच्चे पर गुस्सा होकर हाथ उठा देते हंै। ध्यान रखें बच्चे पर हाथ उठाना समस्या का समाधान नहीं है, बल्कि इससे मामला अधिक बिगड़ता ही है। मान लीजिए आप बार-बार बच्चे के साथ मारपीट वाला रवैया ही अपनाते हैं तो बच्चे की आदत भी बिगड़ सकती है, वह अधिक जिद्दी बन सकता है। ऐसे में बेहतर यही है कि उस पर हाथ उठाने के बजाय उसे अच्छे से समझााएं और यकीन दिलाएं कि यह ना कहना पैरेंट्स के लिए ही नहीं बल्कि खुद बच्चे के हित में भी है।
खुद अनुशासित रहें
बच्चों में शुरुआत से ही अनुशासन का पालन करने की आदत डालें। उनमें अच्छी आदतें डालें और गलत आदतों के नुकसान से अवेयर करते रहें। प्यार से उन्हें समझााएं कि जल्द सोना सेहत के लिए अच्छा होता है, ज्यादा चॉकलेट खाने से दांत सड़ जाएंगे। इस बात का ध्यान रखें कि जिस बात के लिए आप बच्चे को मना कर रहे हैं, वह अपने पर भी पूरी तरह से लागू करें।
बच्चों में शुरुआत से ही अनुशासन का पालन करने की आदत डालें। उनमें अच्छी आदतें डालें और गलत आदतों के नुकसान से अवेयर करते रहें। प्यार से उन्हें समझााएं कि जल्द सोना सेहत के लिए अच्छा होता है, ज्यादा चॉकलेट खाने से दांत सड़ जाएंगे। इस बात का ध्यान रखें कि जिस बात के लिए आप बच्चे को मना कर रहे हैं, वह अपने पर भी पूरी तरह से लागू करें।
सिफारिश नहीं
बच्चा सबसे ज्यादा अपने परिवार से सीखता है। घर में ऊंची आवाज में कतई बात न करें। अगर घर के किसी एक सदस्य ने बच्चों को टीवी देखने से मना किया हो, तो किसी दूसरे सदस्य को उन्हें टीवी देखने देने की सिफारिश नहीं करनी चाहिए। किसी बात के लिए आज ‘ना’ कहकर कल ‘हां’ न करें। ऐसा करने से बच्चों के मन में बातों के प्रति गंभीरता नहीं रहती। जब हम एकजुट होकर बच्चों को मना करते हैं, तो उन्हें समझा में आता है कि यह बात ठीक नहीं है।
बच्चा सबसे ज्यादा अपने परिवार से सीखता है। घर में ऊंची आवाज में कतई बात न करें। अगर घर के किसी एक सदस्य ने बच्चों को टीवी देखने से मना किया हो, तो किसी दूसरे सदस्य को उन्हें टीवी देखने देने की सिफारिश नहीं करनी चाहिए। किसी बात के लिए आज ‘ना’ कहकर कल ‘हां’ न करें। ऐसा करने से बच्चों के मन में बातों के प्रति गंभीरता नहीं रहती। जब हम एकजुट होकर बच्चों को मना करते हैं, तो उन्हें समझा में आता है कि यह बात ठीक नहीं है।
धैर्य जरूरी है
पेरेंट्स चाहते हैं कि जब भी वह अपने बच्चे को किसी चीज के लिए मना करें तो बच्चे फौरन उनकी बात मान लें। पेरेंट्स इस तरह के मामलों में थोड़ा धैर्य रखें। बच्चे को थोड़ा समय देना पड़ता है ताकि बच्चा बात को सही तरीके से समझा जाए और अपनी जिद छोड़ दें।
पेरेंट्स चाहते हैं कि जब भी वह अपने बच्चे को किसी चीज के लिए मना करें तो बच्चे फौरन उनकी बात मान लें। पेरेंट्स इस तरह के मामलों में थोड़ा धैर्य रखें। बच्चे को थोड़ा समय देना पड़ता है ताकि बच्चा बात को सही तरीके से समझा जाए और अपनी जिद छोड़ दें।
ध्यान बंटाएं
बच्चे कई बार किसी चीज के लिए जिद पकड़ लेते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वे झाुंझालाने के बजाय समझादारी दिखाते हुए बिना उन्हें डांटे-डपटे उनका ध्यान किसी और चीज की ओर ले जाएं। आपको उनका ध्यान वहां से हटाकर दूसरी रोचक बात की तरफ मोडऩा चाहिए।
बच्चे कई बार किसी चीज के लिए जिद पकड़ लेते हैं। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वे झाुंझालाने के बजाय समझादारी दिखाते हुए बिना उन्हें डांटे-डपटे उनका ध्यान किसी और चीज की ओर ले जाएं। आपको उनका ध्यान वहां से हटाकर दूसरी रोचक बात की तरफ मोडऩा चाहिए।