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बच्चे पिता से सीखते हैं अनुशासन

locationजयपुरPublished: Jan 18, 2020 02:12:27 pm

Submitted by:

Chand Sheikh

बच्चों में अनुशासन विकसित करने के लिए कई बातों का ध्यान रखना होता है। इसमें पिता की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। पिता खुद अपने व्यवहार में कुछ बातों को शामिल कर अपने बच्चे को अनुशासित बना सकता है।

बच्चे पिता से सीखते हैं अनुशासन

बच्चे पिता से सीखते हैं अनुशासन

बच्चे के लिए बनें आदर्श
एक बच्चे के लिए उसके पिता उसके रोल मॉडल होते हैं। यह मायने नहीं रखता कि बच्चा कितना बड़ा या कितना छोटा है। बच्चा अपने घर में माता-पिता खास तौर पर पिता को जिस रूप में देखता है, अपने को भी उसी तरफ आगे बढ़ाने की कोशिश करता है। पिता को चाहिए कि जिस तरह की खूबियां वह अपने बच्चे में चाहता है, पहले खुद अपने में विकसित करें। पिता की आदतें, सोच, नजरिए और व्यवहार में ये सब कुछ झलकना चाहिए।
बात करें और सलाह दें
आपको बच्चे की कोई भी बात या आदत बुरी लग रही है या उस पर गुस्सा आ रहा है तो खुद को संभालें और बच्चे पर गुस्सा करने से बचें। गुस्सा करने के बजाय आप बच्चे से बात करें और उसे अच्छी तरीके से समझाएं। मान लीजिए आपका बच्चा रसोई में रखा चाकू या गैस को छेड़ता है तो उस पर एकदम से आग बबूला होने के बजाय उससे प्यार से इस संबंध में बात करें। उसे समझाएं कि इससे किस तरह का नुकसान हो सकता है। उससे बचने की सलाह दें।
समय दें, साथ खेलें
हर पिता की जिम्मेदारी बनती है कि अपने बच्चे को पर्याप्त समय दें। हर बच्चा चाहता है कि उसके पिता उसके साथ समय गुजारें। बच्चों को अनुशासित बनाए रखने के लिए पिता के लिए यह जरूरी शर्त है कि वह उन्हें समय ही न दें बल्कि उनके साथ बेहतर तरीके से समय गुजारें। उनके साथ खेलें। इस दौरान बच्चा उनसे कुछ सीखता है। पिता का यह साथ बच्चे के लिए बेहतरीन वक्त होता है जिसमें वह अपने व्यक्तित्व का बेहतरीन विकास कर पात है।
उन्हें पुरस्कृत करें
बच्चों को गलती पर डांटने और उन्हें डराने-धमकाने के बजाय उन्हें अच्छे व्यवहार पर पुरस्कृत करें। हर छोटे-छोटे अच्छे कामों पर उनकी प्रशंसा करें और उनका हौसला बढ़ाएं। इससे वे मोटिवेट होंगे और अच्छी बातों और कामों को लेकर वे अधिक प्रोत्साहित होंगे।
आलोचना नहीं
बच्चे से गलतियां हो जाती हैं, क्योंकि वह बच्चा हैै। इसके मायने यह कतई नहीं कि आप उसकी खामियों को बार-बार गिनाते रहो या उसकी हर बात पर आलोचना करते रहो। पिता को चाहिए कि बच्चे की गलती होने पर भी बच्चे के प्रति उनका व्यवहार सही होना चाहिए।
उन्हें साहसी बनाएं
माता जहां बच्चों को लेकर अधिक प्रोटेक्टिव होती है, वही पिता चाहता है कि उसका बच्चा जोखिम उठाकर आगे बढ़ता रहे। पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे को हौसला दें और साहसी बनाए।ं
मार्गदर्शन करते रहें
पिता को चाहिए कि वह अपने बच्चे की हर जिद्द को पूरा करनेे के बजाय उन्हें अच्छी तरह समझाएं। लगातार उन्हें गाइड करते रहें और उन्हें उनके हाल पर छोडऩे के बजाय पग-पग पर उनका मार्गदर्शन करते रहें।
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