भावनाओं पर नियंत्रण
गुस्सा अपनी भावनाओं को व्यक्त कर देता है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें और हर कहीं और हर किसी के सामने अपने गुस्से को व्यक्त करने से बचें। इस क्रोध को अपने रिश्तेदारों, बच्चों आदि के सामने व्यक्त करने से बचा जाना चाहिए।
गुस्सा अपनी भावनाओं को व्यक्त कर देता है। ऐसे में जरूरी है कि हम अपनी भावनाओं को नियंत्रित करें और हर कहीं और हर किसी के सामने अपने गुस्से को व्यक्त करने से बचें। इस क्रोध को अपने रिश्तेदारों, बच्चों आदि के सामने व्यक्त करने से बचा जाना चाहिए।
सही समय
हर एक बात का एक सही समय और वक्त होता है। मान लीजिए आप अपने बच्चे की किसी गलती पर नाराज हैं या गुस्सा हैं तो इसके मायने यह कतई नहीं है कि उसे हर कहीं या हर किसी के सामने डांटने लग जाए। उसके दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने गुस्सा करने से बचें। उचित समय पर सही तरीके से बात रख्ेां।
हर एक बात का एक सही समय और वक्त होता है। मान लीजिए आप अपने बच्चे की किसी गलती पर नाराज हैं या गुस्सा हैं तो इसके मायने यह कतई नहीं है कि उसे हर कहीं या हर किसी के सामने डांटने लग जाए। उसके दोस्तों और रिश्तेदारों के सामने गुस्सा करने से बचें। उचित समय पर सही तरीके से बात रख्ेां।
एकदम प्रतिक्रिया
किसी भी मामले में एकदम गुस्सा होने या रिएक्ट करने से पहले सोचें कि क्या आपका गुस्सा व्यक्त करने का तरीका सही है। इस तरह पेश आना आपके लिए कितना उचित है। बिना सोचे एकदम से किसी तरह रिएक्ट करना उचित नहीं है। बच्चों के मामले में तो इसमें अधिक सजगता की जरूरत होती है।
किसी भी मामले में एकदम गुस्सा होने या रिएक्ट करने से पहले सोचें कि क्या आपका गुस्सा व्यक्त करने का तरीका सही है। इस तरह पेश आना आपके लिए कितना उचित है। बिना सोचे एकदम से किसी तरह रिएक्ट करना उचित नहीं है। बच्चों के मामले में तो इसमें अधिक सजगता की जरूरत होती है।
ध्यान दूसरी तरफ
ज्यों ही आपको गुस्सा आए तो बेहतर यह है कि इसे एकदम से व्यक्त करने के बजाय इसे किसी रचनात्मक काम की तरफ मोड़ दें। अपना ध्यान दूसरे किसी अच्छी तरफ लगाकर गुस्से के हालात से उबरने की कोशिश करें। इससे आप एकदम गुस्से से बच पाएंगे और आसानी से इस पर नियंत्रण हो जाएगा।
ज्यों ही आपको गुस्सा आए तो बेहतर यह है कि इसे एकदम से व्यक्त करने के बजाय इसे किसी रचनात्मक काम की तरफ मोड़ दें। अपना ध्यान दूसरे किसी अच्छी तरफ लगाकर गुस्से के हालात से उबरने की कोशिश करें। इससे आप एकदम गुस्से से बच पाएंगे और आसानी से इस पर नियंत्रण हो जाएगा।
झाुंझलाहट नहीं
पेरेंट्स का दिनभर का तनाव, काम का दबाव, ऑफिस या अन्य किसी तरह की परेशानी की झाुंझलाहट कभी भी बच्चों पर न निकालें। उन पर इस तरह की झाुंझलाहट दिखाने के बजाय शांत रहें। अधिक गुस्सा या झाुंझलाहट होने पर गहरी सांस लें और बच्चों के साथ शांति से पेश आएं।
पेरेंट्स का दिनभर का तनाव, काम का दबाव, ऑफिस या अन्य किसी तरह की परेशानी की झाुंझलाहट कभी भी बच्चों पर न निकालें। उन पर इस तरह की झाुंझलाहट दिखाने के बजाय शांत रहें। अधिक गुस्सा या झाुंझलाहट होने पर गहरी सांस लें और बच्चों के साथ शांति से पेश आएं।
कारण तलाशें
आप बच्चों के सामने किस मामले में अधिक गुस्सा हो जाते हैं, उनक कारणों को जानने की कोशिश करें। माना बिखरे हुए खिलौने या घर की कोई ऐसी चीज आप में खीज या रोष पैदा करती है तो उसे सुधारने की कोशिश करें और खुद की आदतों में बदलाव लाएं कि ऐसा कुछ देखकर वे एकदम उत्तेजित नहीं होंगे।
आप बच्चों के सामने किस मामले में अधिक गुस्सा हो जाते हैं, उनक कारणों को जानने की कोशिश करें। माना बिखरे हुए खिलौने या घर की कोई ऐसी चीज आप में खीज या रोष पैदा करती है तो उसे सुधारने की कोशिश करें और खुद की आदतों में बदलाव लाएं कि ऐसा कुछ देखकर वे एकदम उत्तेजित नहीं होंगे।
झगड़े नहीं
पति और पत्नी की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों के सामने आपस में किसी भी मुद्दे पर न बहस करें और ना ही लड़ाई । इनका बच्चों के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है। मानकर चलिए बच्चे भी आगे चलकर ऐसा ही कुछ सीख जाते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि माता-पिता अपने बच्चों के सामने बहस आदि से बचें।
पति और पत्नी की जिम्मेदारी बनती है कि वे बच्चों के सामने आपस में किसी भी मुद्दे पर न बहस करें और ना ही लड़ाई । इनका बच्चों के जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता है। मानकर चलिए बच्चे भी आगे चलकर ऐसा ही कुछ सीख जाते हैं। इसलिए बेहतर यही है कि माता-पिता अपने बच्चों के सामने बहस आदि से बचें।