यूं करें परवरिश इकलौते की
बच्चा जब इकलौता हो तो पेरेंट्स को अधिक जिम्मेदार बरतनी होती है। इकलौते बच्चे के मामले में पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि वह बच्चे को अधिक घुला-मिला रखकर संवेदनशील बनाएं।

हर मांग न मानें बच्चे की
अधिकतर पेरेंट्स अपने इकलौते बच्चे की हर मांग को पूरा करना अपनी जिम्मेदारी समझते हैं। एकलौते बच्चों की सभी मांगों को पूरा करने की इस गलती से बच्चों को लिटिल एम्परर सिंड्रोम होने की आशंका रहती है। इस बिहेवियरल सिंड्रोम में बच्चे अपने माता-पिता से अधिक मांग करने के आदी हो जाते हैं। पेरेंट्स ऐसी गलती न करें बल्कि अपने बच्चों की हर मांग के आगे झाुकने के बजाय उन्हें जरूरत व इच्छा का अंतर बताएं। उन्हें व्यावहारिकता से रूबरू कराएं।
बच्चे के साथ हो मजबूत संवाद
बचपन से ही बच्चे के साथ बेहतर संवाद बनाए रखने के लिए बच्चे को प्रोत्साहित करना चाहिए और उसे संवेदनशील बनाया जाना चाहिए। बच्चे से खुलकर बात करने की आदत डालें। इकलौते बच्चे को हमेशा स्वीकार्यता और सामाजिक मान्यता की तलाश रहती है। परीक्षा में कम अंक लाए या कोई गलती कर बैैठे तो पहले बच्चे की बात सुनें। उसकी निराशा को बढ़ाने के बजाय आप उसे समझाएं कि गलती सभी से होती है।
जूझने दें बच्चे को
इकलौते बच्चे के मामले में अभिभावक ज्यादा सचेत, नियमों को लेकर सख्त और अधिक सुरक्षात्मक रुख अपना लेते हैं। ऐसे में जब अभिभावक अपने बच्चे को लाइन में खड़ा देखते हैं और झाूला झाूलने के लिए उसे अपने नंबर का इंतजार करते हुए रोते देखते हैं तो उनका मन करता है कि वे जाएं और अपने बच्चे को सबसे पहले भेजने की कोशिश करें। ऐसा करने के बजाय अभिभावकों को रुककर अपने बच्चे को ख़ुद अपनी जिंदगी की लड़ाई लडऩे की कोशिश करने देना चाहिए। बच्चे को इस तरह तैयार करें कि वह छोटी-मोटी समस्याओं से खुद जूझकर समाधान निकालें और फैसला ले सकें।
सहयोग का भाव
इकलौते बच्चे के मामले में अभिभावकों को चाहिए कि वे कम उम्र से ही बच्चों में सहयोग की भावना जागृत करें। ऐसे बच्चों में शेयरिंग और बारी-बारी काम करने की आदत डालने के लिए आप उनके आदर्श बनें ताकि आपको देखकर वे ये सब कुछ सीखें। जब भी छोटे बच्चे घर पर आएं तो बच्चे को उनके साथ खिलौने शेयर करने के लिए प्रोत्साहित करें। अन्य बच्चों के साथ खेलने, उन्हें सहयोग करने और उनके प्रति हमदर्दी के भाव उनमें जाग्रत करने की कोशिश करें।
दूसरे बच्चों से जोड़ें
पेरेंट्स अपने इकलौते बच्चे पर खूब ध्यान देते हैं लेकिन बावजूद इसके उन्हें अकेलापन महसूस होने की आशंका रहती है। इसलिए जरूरी है कि शुरू से ही अपने बच्चे को कई सारी सामाजिक गतिविधियों का हिस्सा बनाएं और उन्हें दूसरे बच्चों के साथ बातचीत करने का मौका दें। बच्चे को पार्क, हॉबी क्लासेज ले जाएं या फिर कजन्स या दोस्तों के साथ खेलने या समर कैम्प्स में भेजें। इससे बच्चा दूसरे बच्चों के साथ खुलकर खेलता है और उनसे आसानी से घुलमिल जाता है
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