अकसर पेरेंट्स यह सोचते हैं कि बच्चा छोटा है, अभी किताबों का क्या काम। लेकिन बच्चा अभी छोटा है तो भी उसे तस्वीरों, ग्राफिक्स और रंगों से भरपूर किताबें उनके लिए लाएं। विभिन्न रंगों और तस्वीरों वाली किताबें बच्चों को अपनी ओर खींचती हैं। इससे उनकी दिलचस्पी पुस्तकों के प्रति बढ़ती है।
आप अपने घर में किताबों को कभी भी बहुत ऊंचाई पर ना रखें। हमेशा बुकशेल्फ को इस तरह रखें कि आपका बच्चा जब चाहे उसे अपनी मनपसंद किताब निकाल सके। अगर हो सके तो किताबों की अलमारी के पास टेबल और कुर्सी रखे, जिस पर बैठकर आपका बच्चा किताबी दुनिया की सैर कर सके।
बच्चों में पुस्तकों के प्रति शौक पैदा करने के लिए बच्चे के साथ पेरेंट्स भी बोल-बोल कर किताब पढ़ें। इससे यह भी पता चलेगा कि किताब पढ़ते समय बच्चा कौन-कौन सी गलतियां कर रहा है। किन शब्दों पर अटक रहा है। उसका उच्चारण सही है या नहीं, पेरेंट्स को बच्चे की गलतियां सुधरवाने में मदद मिलेगी।
पेरेंट्स को चाहिए कि वे समय-समय पर पुस्तक के बारे में बच्चे से उसकी राय पूछते रहें। इसके दो तरह के फायदे होंगे। एक तो बच्चे की पेरेंट्स के साथ अपनी पसंद-नापसंद शेयर करने की आदत पड़ेगी, दूसरा फायदा उसकी पसंद की किताबें खरीदने में आपको आसानी रहेगी।
बच्चों को नए शब्द सिखाने का अच्छा तरीका है अपने बच्चों के साथ शब्दों का खेल खेलें। उनसे बातचीत में नए शब्दों का इस्तेमाल करें। रोजमर्रा की बोलचाल में नए शब्दों का प्रयोग न केवल उसका शब्द ज्ञान बढाएगा, बल्कि किताबों को पढ़ते वक्त वे नए शब्दों को आसानी से समझा भी पाऐंगे।
पेरेंट्स चाहते हैं कि उनके बच्चे को पुस्तकें पढऩे का शौक हो तो इसके लिए जरूरी है कि पेरेंट्स खुद भी पुस्तकें पढऩे की आदत डालें। जब पेरेंट्स पुस्तकें पढ़ते हैं तो बच्चा भी किताब पढऩे के लिए प्रेरित होगा। अपनी पसंद की किताबें खरीदें और हर दिन पेरेंट्स भी 15-20 मिनट ही सही किताबें जरूर पढ़ें।
जन्मदिन, त्योहार या अन्य खास मौकों पर बच्चे को उपहार में अन्य चीजों के साथ किताबें भी दें। बहुत से अवसर ऐसे होते हैं, जब दोस्त या रिश्तेदार बच्चों को उपहार देते हैं। ऐसे मौको को हाथ से ना जाने दें। दोस्तों को और रिश्तेदारों को किताबें देने के लिए कहें। उम्र को ध्यान में रखते हुए बच्चों के लिए किताबें चुनें।