स्थानीय निवासी रामप्रताप सैनी ने बताया कि पार्क की साफ सफाई पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता। ठेकेदार की ओर से पार्क की देखभाल को लगाए कर्मचारी नजर ही नहीं आते। पार्क में पीने के पानी की उचित व्यवस्था नहीं होने से राहगीरों को भरी गर्मी में परेशानी का सामना करना पड़ता है।
टूटे रैंप तो कहीं खुले बिजली के बॉक्स-
पार्क में जिस हिसाब से लोगों की आवाजाही होती है उस हिसाब से रैंप दुरस्त नहीं है। इसके अलावा बिजली के खुले बॉक्स भी हमेशा हादसे को बुलाते रहते हैं। बच्चे हो या बड़े कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं।
पार्क में जिस हिसाब से लोगों की आवाजाही होती है उस हिसाब से रैंप दुरस्त नहीं है। इसके अलावा बिजली के खुले बॉक्स भी हमेशा हादसे को बुलाते रहते हैं। बच्चे हो या बड़े कभी भी हादसे का शिकार हो सकते हैं।
नहीं दिख रहा स्वच्छता अभियान-
पार्क के बाहर चारों ओर गंदगी रहती है, जिससे यहां आने वाले लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। मौका ऐसा भी पड़ा कि कई बार तो समिति के लोगों ने अपने प्रयासों से साफ-सफाई भी करवाई।
पार्क के बाहर चारों ओर गंदगी रहती है, जिससे यहां आने वाले लोगों को असुविधाओं का सामना करना पड़ता है। मौका ऐसा भी पड़ा कि कई बार तो समिति के लोगों ने अपने प्रयासों से साफ-सफाई भी करवाई।
छाया-पानी का अभाव-
पार्क के पास ही जयपुरिया अस्पताल भी है, जहां रोजाना हजारों लोगों की आवाजाही रहती है। आसपास में पार्क नहीं होने से मरीज के परिजन आराम के लिए यहां आते हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में वापस लौट जाते हैं। ना तो छाया का इंतजाम और ना ही पानी का। ऐसे में यहां कोई आना पसंद नहीं करता। पूरे दिन आसपास के बच्चे खेलते रहते हैं।
पार्क के पास ही जयपुरिया अस्पताल भी है, जहां रोजाना हजारों लोगों की आवाजाही रहती है। आसपास में पार्क नहीं होने से मरीज के परिजन आराम के लिए यहां आते हैं लेकिन सुविधाओं के अभाव में वापस लौट जाते हैं। ना तो छाया का इंतजाम और ना ही पानी का। ऐसे में यहां कोई आना पसंद नहीं करता। पूरे दिन आसपास के बच्चे खेलते रहते हैं।
पार्क में दिनभर आवारा पशुओं का जमावड़ा रहता है, जिससे व्यवस्था खराब हो रही है। पार्क के दो गेट हैं और दोनों ही पूरे दिन खुले रहते हैं, इससे आवारा पशु भी पार्क में आ जाते हैं। पशुओं के आने से गंदगी तो फैलती ही है साथ ही पेड़-पौधों को भी नुकसान होता है।
पहले मैं सुबह-शाम यहीं पढ़ता था। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां व्यवस्थाएं बिगड़ गई है, जिससे पढ़ाई में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है। ना तो साफ-सफाई रहती है और ना ही पानी की व्यवस्था।
-चर्चिल खंडेलवाल
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