अपमान का बदला लेने के लिए धरती को किया क्षत्रिय विहीन परशुराम ने अपने माता पिता के अपमान का बदला लेने के लिए 21 बार इस धरती को क्षत्रिय विहीन कर दिया था। हैहय वंश का राजा सहस्त्रार्जुन को अपने बल पर घमंड हो गया था। वो लगातार ब्राह्राणों और ऋषियों पर अत्याचार करने लगा। एक बार सहस्त्रार्जुन सेना सहित भगवान परशुराम के पिता जमदग्रि मुनि के आश्रम पहुंच गया। मुनि ने कामधेनु गाय के दूध से पूरी सेना का सत्कार किया, लेकिन उसने बलपूर्वक चमत्कारी कामधेनु गाय को छीन लिया। परशुराम को ये पता लगने पर उसने सहस्त्रार्जुन को मौत के घाट उतार दिया। बदले में सहस्त्रार्जुन के पुत्रों ने परशुराम के पिता को मार डाला। अपने पति के वियोग में परशुराम की मां सती हो गई। परशुराम ने अंतिम संस्कार के समय अपने पिता के शरीर पर 21 घाव देखे और प्रतिज्ञा ली कि वे धरती से समस्त क्षत्रियों का संहार कर देंगे। उन्होंने 21 बार क्षत्रियों को मार कर प्रतिज्ञा पूरी की।
इसलिए भगवान गणेश कहलाए एकदंत
ब्रह्रावैवर्त पुराण में कथा आती है कि एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने पहुंचे। कैलाश पर्वत पहुंच उन्होंने द्वार पर खड़े गणेश से शिव ये मिलने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन भगवान गणेश ने एक ना सुनी और उन्हें मिलने नहीं दिया। परशुराम ने क्रोध में अपना फरसा निकाला और गणेश का एक दांत तोड़ दिया। इसके बाद ये भगवान गणेश एकदंत कहलाए।
ब्रह्रावैवर्त पुराण में कथा आती है कि एक बार परशुराम भगवान शिव से मिलने पहुंचे। कैलाश पर्वत पहुंच उन्होंने द्वार पर खड़े गणेश से शिव ये मिलने की इच्छा व्यक्त की, लेकिन भगवान गणेश ने एक ना सुनी और उन्हें मिलने नहीं दिया। परशुराम ने क्रोध में अपना फरसा निकाला और गणेश का एक दांत तोड़ दिया। इसके बाद ये भगवान गणेश एकदंत कहलाए।