अगर, पढ़े-लिखे नहीं हैं तो इस गांव में पहुंचने में कोई परेशानी नहीं होगी, लेकिन पढ़े-लिखे यात्री हैं तो गांव का नाम सुनकर एक बार दिमागी हलचल होना लाजमी है। दरअसल, रोडवेज की कुछ खामी के चलते कई यात्री चलती बस को रुकवाकर बीच रास्ते में उतरने की इच्छा जताते हैं ।
-यात्री हो रहे गुमराह
आजकल राजस्थान रोडवेज की बस में यात्रियों को थमाए जा रहे ऐसे ही टिकट चर्चा में बने हुए हैं। रोडवेज प्रबंधन की तकनीकी खामी के चलते यात्रियों को सुरखंड का खेड़ा गांव तक पहुंचाने वाले लोगों को टिकट पर शूर्पणखा लिखा हुआ प्रिंट थमाया जा रहा है। अब गांव में रहने वाले लोगों का आरोप है कि ‘सुर’ नाम से देवताओं का उच्चारण होने वाले गांव को असुरराज दशानन की बहन का गांव बताकर रोडवेज लोगों को गुमराह कर रही है। लोगों का कहना है कि रोडवेज प्रबंधन सुरखंड का खेड़ा आने वाले यात्रियों में गांव की छवि खराब हो रही है। गांव का एक तबका तो समस्या के विरोध में भी आ खड़ा हुआ है।
-ऐसे हैं तकनीकी कारण देखा जाए तो रोडवेज बस में यात्रियों को टिकट की अनिवार्यता है। रोडवेज बस स्टैण्ड के काउंटर के अलावा बस में बीच से चढ़ने वाली सवारी को अलग से टिकट थमाया जाता है। कंडक्टर के पास मौजूद विशेष टिकट उपकरण में तकनीकी खामी के बीच पूरा नाम नहीं आता। इसके चलते टिकट पर सुरखण्ड का खेड़ा का प्रिंट आने की बजाए शूर्पणखा लिखा हुआ आता है। रोडवेज प्रबंधन ने टिकट के नाम पर हमारे गांव की मजाक बना रखी है। नया आदमी गांव तक पहुंचने से पहले भ्रमित होता है। इसके लिए रोडवेज प्रबंधन से सुधार की भी मांग की, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।