उक्त विचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को देश के प्रिंट मीडिया समूह के प्रमुखों से साझा किए। उल्लेखनीय है कि राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ से एकमात्र ‘पत्रिका’ के साथ ही प्रधानमंत्री ने अनुभव साझा किए। संवाद कार्यक्रम के दौरान उन्होंने माना कि देश संकट के दौर से गुजर रहा है। ऐसे में प्रशासन और आम आदमी के बीच प्रिंट मीडिया ने सेतु का काम किया है। समाचार पत्र सामान्य से सामान्य व्यक्ति को भी बीमारी के बारे में समझाने का काम कर रहे हैं। पीएम ने कहा कि समाचार पत्रों के स्थानीय पेजों को जनता पूरी गंभीरता से पढ़ती है। इन पेजों पर कोरोना से संबंधित जागरूकता के समाचार और भी ज्यादा आना चाहिए। इन्हीं पेजों की खबरों से पता चल पाता है कि कहां ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। इस दौरान पीएम मोदी ने माना कि समाचार पत्र भरोसे की विरासत के प्रतीक हैं। आज भी सामान्य आदमी किसी बात की प्रमाणिकता के लिए यही कहता है कि मैंने अमुक बात को समाचार पत्र में पढ़ा है।
समाचार पर बीमारी से जुड़ी कठिन बातें स्थानीय और सरल भाषा में लोगों को समझा सकते हैं। इस दौरान पीएम मोदी ने प्रिंट मीडिया से आग्रह किया कि वे देश में निराश का माहौल न बनने दें। सीमित संसाधनों के बावजूद आप देश के लिए बहुत कुछ कर रहे हैं। हमें भी पत्रकार, हॉकर सहित सभी की चिंता है। उन्होंने कहा कि भारत संभावनाओं का देश है। हम बेहतर स्थिति में रहेंगे।
संवाद के दौरान तमिलनाडु के समाचार पत्र थाती के बालासुब्रमण्यम ने बताया कि इस महामारी के दौरान प्रिंट मीडिया किसी हेल्थ वर्कर की तरह काम कर रहा है। प्रिंट मीडिया और उसके पत्रकार जिस तरह से जनजागरूकता में जुटे हैं, उससे भरोसा बढ़ा हैै। हॉकर और प्रदेश के लोग पूरा सहयोग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि नए लोगों ने भी समाचार पत्र को खरीदना शुरू कर दिया है।