प्रो. द्विवेदी ने शनिवार को पत्रिका समूह की ओर से आयोजित वार्षिक पत्रकारिता पुरस्कार समारोह को संबोधित किया। वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस समारोह में पत्रिका समूह के प्रिंट व मल्टीमीडिया से जुडी विभिन्न श्रेणियों के पुरस्कार दिए गए। प्रो. द्विवेदी ने प्रिंट को लेकर तमाम चिंताओं को लेकर कहा कि प्रिंट मीडिया के समाप्त होने की बात कही जाती है। लेकिन आज सवाल यह है कि क्या वास्तव में अखबार खत्म हो जाएंगे।
यह बात सही है कि प्रिंट के बजाय डिजिटल मीडिया आगे आ रहा है, लेकिन अखबारों के प्रति आज की तरह ही भरोसा बनाए रखा गया तो प्रिंट मीडिया को देश में कोई खतरा नहीं है। हालांकि इसके लिए बदलाव की जरूरत है। अखबारों में छपे हुए तथ्यों के बदलने की संभावना नहीं होने से उस पर जनता को भरोसा रहता है। आज भारत, चीन और जापान में न केवल अखबार बढ़ रहे हैं, बल्कि बेहतर प्रदर्शन व उन्नत तकनीक के साथ आ रहे हैं। अखबारों में भी आज शीर्षक बोलते नजर आते हैं और पत्रिका समूह ऐसा कर रहा है।
अब बदल गई अखबारों की भूमिका
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि अखबारों का भविष्य सुरक्षित रहे, इसके लिए उनको झुंड से निकलकर अपनी अलग छवि विकसित करनी होगी। इसके अलावा खबरों के बजाय सरोकारों को आगे रखना होगा। आज चुनौती यह है कि सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया पर समाचार ब्रेक हो चुका होता है, ऐसे में सूचना देने का काम अखबारों के हाथ में अब नहीं रहा। डिजिटल मीडिया तेजी से बढ़ रहा है।
ऐसे में अब अखबारों को व्याख्या और विश्लेषण पर जोर देना होगा। खबरों के पीछे के अर्थ बताते होंगे और खबरों में माटी की महक बरकरार रखते हुए स्थानीय स्तर पर सामाजिक जुड़ाव दिखाना होगा। अखबारों को सपने और उम्मीदों की कहानियां बतानी होंगी। अखबारों को विचार थोपने के बजाय लोगों के बताए अनुसार काम करना होगा। उन्होंने कहा कि 2030 तक क्षेत्रीय भाषा के माध्यमों की रीच तेजी से बढ़ेगी।
राजनीतिक विचाराधारा हो, लेकिन पार्टी से दूरी रखें
प्रो. द्विवेदी ने कहा कि पत्रकार का एक ही काम हो सत्यान्वेषण। वह राजनीतिक विचारधारा से जुड़ा तो हो सकता है, लेकिन राजनीतिक दल से उसे अलग रहना चाहिए। पत्रकार भी ट्रोल होते हैं। पत्रकारों को एक्टिविस्ट की तरह नहीं होना चाहिए और खबरों में मिलावट भी नहीं होनी चाहिए। अखबारों की तरह ही टीवी मीडिया को भी कंर्वजेंस को अपनाना होगा, उसमें मोबाइल की भूमिका को भी जगह देनी होगीं।
समारोह को पत्रिका समूह के कार्यकारी संपादक नीहार कोठारी ने भी संबोधित किया। इस मौके पर पत्रिका समूह के ग्रुप डिप्टी एडिटर भुवनेश जैन ने पत्रिका की प्रगति के बारे में जानकारी दी।कार्यक्रम के अंत में पत्रिका के डिप्टी एडिटर हरीश पाराशर ने धन्यवाद ज्ञापित किया और चन्द्रशेखर पारीक ने कार्यक्रम का संचालन किया।
पत्रिका के बारे में यह बोले प्रो. द्विवेदी
मुझे छात्र जीवन में पत्रिका के पंडित झाबरमल्ल स्मृति व्याख्यान में शामिल होने का मौका मिला, तब पत्रिका ने हमारा जो सत्कार किया वह अविस्मरणीय है। राजस्थान पत्रिका के संस्थापक संपादक कर्पूर चंद्र कुलिश को याद करते हुए कहा कि वे विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे और उन्होंने कभी मूल्यों से समझौता नहीं किया। आज पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी भी उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं।
यह बात अलग है कि जब यह अखबार शुरू हुआ और आज जो परिस्थितियां हैं, उनमें बहुत बड़ा बदलाव आ गया है। हर समय में पत्रिका ने आदर्श पत्रकारिता का उदाहरण प्रस्तुत किया है। व्यवसाय की चिंता किए बिना हिन्दी व देश की सेवा की है। बैंगलूरू, चेन्नई व गुजरात से अखबार निकालना इसका उदाहरण है। पत्रिका के फेसबुक पेज पर 3-3 करोड़ रीच है, जबकि पश्चिम देशों में ऐसी रीच नहीं है।