विद्यापीठ में बीए अंतिम वर्ष की छात्रा कीर्ति यादव की दो बड़ी बहनें भी घुड़सवारी का शौक रखती थी और उन्हें देख कर ही कीर्ति में भी घुड़सवारी सीखने का जुनून पैदा हुआ। प्रथम वर्ष में पढ़ाई के दौरान घुड़सवारी सीखने के दौरान पांच-छह बार गिरी भी। एक बार हाथ में फै्रक्चर हो गया। पिता हीरा लाल व मां प्रसन्न देवी ने कीर्ति की हौसला अफजाई की। चिकित्सक के अनुसार उसे एक माह तक घुड़सवारी से दूर रहना पड़ा, लेकिन कीर्ति ने हार नहीं मानी और फिर से घुड़सवारी शुरू कर दी। इसके बाद उसने पहले एक फिर दो और तीन घोड़ों पर एक साथ नियंत्रण कर घुड़सवारी शुरू कर दी।
राज्यपाल ने की तारीफ
गत वर्ष दीक्षांत समारोह में आए प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र के सामने कीर्ति ने पांच घोड़ों पर एक साथ नियंत्रण कर घुड़सवारी का हुनर दिखाया। राज्यपाल कीर्ति की घुड़सवारी से खासे प्रभावित हुए और उन्होंने समारोह के उद्बोधन में भी कीर्ति की घुड़सवारी का जिक्र किया। हालांकि कीर्ति अपनी घुड़सवारी का श्रेय घुड़सवारी में कोच दोनों बड़ी बहनों गायत्री व पूनम को देती है।