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अबकी बार, पेट्रोल 80 पार …!

locationजयपुरPublished: Sep 13, 2017 11:16:57 pm

क्या सरकार कंपनियों को जिम्मेदारी सौंप कर अपना पल्ला झाड़ रही हैं या फिर खुद सरकार,कंपनियों के जरिए आम आदमी के साथ किसी चतुर व्यापारी की तरह बर्ताव कर

petrol diesel price hike
विशाल सूर्यकांत

मुंबई में बुधवार को पेट्रोल 79.48 प्रति लीटर आ चुका है। अगर पेट्रोलियम कंपनियों की मनमानी नहीं रोकी गई तो 80 रूपए के पार पेट्रोल जाता दिख रहा है। जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की वजह से पूरे देश में पेट्रोल-डीजल की अलग- अलग कीमतें हैं। मुंबई में 79.48 है तो जयपुर में 73 रूपए लीटर…। सवाल ये उठ रहा है कि क्या केन्द्र और राज्य सरकारों ने पेट्रोल और डीजल को टैक्स कलेक्शन का बड़ा जरिया बना रखा है..? अगर ऐसा नहीं है तो फिर क्या वजह है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमत आधी हो जाने के बावजूद, देश में पेट्रोल और डीजल के दाम कम नहीं हो रहे हैं। सरकार की ऐसे मामलों में क्या भूमिका होनी चाहिए ? क्या सरकार कंपनियों को जिम्मेदारी सौंप कर अपना पल्ला झाड़ रही है या फिर खुद सरकार, कंपनियों के जरिए आम आदमी के साथ किसी चतुर व्यापारी की तरह बर्ताव कर रही है जिसमें रोज नई कीमत लाकर भ्रम की स्थिति बनाई गई और फिर गुपचुप तरीके से पेट्रोल के दाम 80 रूपए तक पहुंचा दिए गए हैं। क्या सरकार, आम आदमी की जरूरत से जुड़े मुद्दे पर लोक कल्याणकारी चेहरे के बजाए व्यावसायिक चेहरा अपना रही है ?
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया भी आज खासा सरगर्म है…सोशल मीडिया जितना अच्छा है उतना ही परेशानी पैदा करने वाला भी इस मायने में साबित हो रहा है कि प्रधानमंत्री बनने से पहले और प्रधानमंत्री बनने के बाद, नरेन्द्र मोदी जी के कई भाषण सोशल मीडिया में हैं। वो लोग एक-दूसरे को भेजे जा रहे हैं। पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों को लेकर नरेन्द्र मोदी जी ने कभी यूपीए सरकार के कान उमेठे थे। पीएम बनने के बाद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कुछ दाम गिरे तो खुद को नसीबवाला भी बताया था। लेकिन अब देश पूछ रहा है कि आम जनता के नसीब कब जागेंगे क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय बाजार से खरीद कर रिफाइन करने की प्रक्रिया तक देखें तो पेट्रोल 31 रूपए प्रति लीटर तक मिल सकता है। लेकिन न केन्द्र और न राज्य, पेट्रोलियम उत्पादों से मिलने वाले भारी राजस्व को छोड़ने को तैयार है। केन्द्र और राज्य सरकारों ने जीएसटी के दायरे से अलग रखकर इतने भारी टेक्स लगा रखें हैं कि देश के आम आदमी को दोगुनी या कई जगहों पर दोगुनी से भी ज्यादा कीमत पर पेट्रोल डीजल मिल रहा है। पेट्रोलियम कंपनियां तो मुनाफे का खेल करेंगी ही, वो चाहेंगी कि 80 रूपए ही क्यों 100 रूपए पेट्रोल क्यों नहीं बिक सकता ? लेकिन सवाल ये उठता है कि सरकारों की जिम्मेदारी क्या है ? पेट्रोल और डीजल के दाम सीधे रूप में महंगाई बढाते हैं। जो बात आम आदमी समझ लेता है वो बात सरकार क्यों नहीं समझना चाहती..?
हर रोज महंगा हुआ पेट्रोल 

13 जुलाई 2017 को पेट्रोल की कीमत 66 रुपए और 61 पैसे थी

22 अगस्त को कीमत बढ़कर 71रुपए और 27 पैसे हो गई

महज 40 दिन में पेट्रोल की कीमत 4 रुपए 66 पैसे बढ़ गई
13 सितम्बर 2017 को जयपुर में पेट्रोल की कीमत 73 रूपए हो गई

डीजल –


13 जुलाई 2017 को 58 रुपए और 71 पैसे थी

22 अगस्त 2017 को कीमत 61.04 रुपए हो गई
13 सितम्बर,2017 को डीडल की कीमत 62.78 रूपए हो गई

मुंबई में 80 रूपए तक पहुंचते पेट्रोल के दामों ने देश को हैरान कर दिया है क्योंकि देर-सबेर ये बाकी शहरों में भी होते दिखेंगे। रोज बदलती कीमत का खेल इस रूप में चला है कि पेट्रोल पर खर्च करने मजबूरी में बढ़ोतरी का खुला खेल चल रहा है। कंपनियां मुनाफाखोर व्यापारी की तरह बर्ताव करती नजर आ रहीं है। रोज नए दामों में परिवर्तन से आम लोगों के विरोध का कोई साझा मंच नहीं बनता। लेकिन जो रोज एक या दो लीटर पेट्रोल भरवा कर या 50 रूपए,100 रूपए,200 रूपए का पेट्रोल भरवा कर जिदंगी की गाड़ी चला रहे हैं, उनकी पीड़ा रोज नई शक्ल में सामने आती है।
 पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पहले और अब कैसे हो रही है सियासत और क्या कह रही है जनता …

डेली डाइनैमिक प्राइसिंग ने किया हलाकान 

दरअसल,2017 की शुरुआत में देश के चुनिंदा शहरों में डेली डाइनैमिक प्राइसिंग सिस्टम शुरु किया गया। इसके तहत पुड्डुचेरी,विशाखापत्तनम,उदयपुर,जमशेदपुर,चंडीगढ़ शहरों के 109 पेट्रोल पंपों पर नया सिस्टम अजमाया। इस सिस्टम को डेली डाइनैमिक प्राइसिंग सिस्टम का नाम दिया गया। इसके बाद 16 जून 2017 से नई व्यवस्था के तहत देश भर में रोजाना पेट्रोल-डीजल की दरें तय होने लगी। अब रोज सुबह 6 बजे, पेट्रोल-डीजल के दाम बदल जाते हैं। पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं। वहीं पेट्रोल-डीजल से केन्द्र सरकार की तिगुनी कमाई हो रही है।
पेट्रोलियम उत्पादों से केंद्र की कमाई में तीन गुना बढ़ोतरी हुई है। इस साल एक जुलाई से जीएसटी लागू किया गया। नई टैक्स व्यवस्था जीएसटी से पेट्रोल-डीजल बाहर कर दिए गए क्योंकि इन पर केंद्र और राज्यों के अलग-अलग भारी टैक्स है। केंद्रीय करों में सरकारी आंकड़ों को ही देख लीजिए जिसमें स्पष्ट हैं कि डीजल पर लागू एक्साइज ड्यूटी में 380% और पेट्रोल पर 120% का इजाफा हो चुका है। केन्द्र की आमदनी तिगुनी हो गई। इस फार्मूले को राज्यों ने भी इस रूप में अपनाया कि 2014 तक 10 राज्यों में 20 फीसदी वैट था। अगस्त 2017 तक देश के 15 राज्यों ने 30 फीसदी वैट बढ़ा लिया ताकि राज्यों की आमदनी ज्यादा हो सके।
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दुनिया में पेट्रोल यहां सबसे सस्ता-

वेनेज़ुएला – 0.01 डॉलर या 68 पैसे प्रति लीटर, सऊदी अरब – 0.24 डॉलर या 16.32 रुपए प्रति लीटर, तुर्कमेनिस्तान – 0.29 डॉलर या 19.72 रुपए प्रति लीटर, अल्जीरिया – 0.32 डॉलर या 21.76 रुपए प्रति लीटर, मिस्र – 0.35 डॉलर या 23.80 रुपए प्रति लीटर
दुनिया में सबसे महंगा पेट्रोल

नॉर्वे – 1.86 डॉलर या 126 रुपए प्रति लीटर, आइसलैंड – 1.75 डॉलर या 119 रुपए प्रति लीटर, ग्रीस – 1.65 डॉलर या 112 रुपए प्रति लीटर, डेनमार्क 1.63 डॉलर या 111 रुपए प्रति लीटर, हांगकांग 1.93 डॉलर या 131 रुपए प्रति लीटर
देखिए पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर पत्रिका टीवी स्टूडियों में कांग्रेस, बीजेपी,आप पार्टी,सामाजिक कार्यकर्ता के बीच तीखी बहस और वरिष्ठ राजेन्द्र शर्मा की तीखी टिप्पणियां…

देश में पेट्रोल और डीजल जीएसटी के दायरे से अभी बाहर है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में किसी भी राजनीतिक दल की राज्य सरकार ने इसे जीएसटी में लाने की दिलचस्पी नहीं दिखाई। खुद केन्द्र सरकार नहीं चाहती थी कि तेल कंपनियों के वाइबिलिटी गेप को पाटने में ज्यादा खर्च किया जाए। देश में एक्साइज ड्यूटी और वैट की स्थिति क्या है। उसे आंकड़ों के जरिए समझिए
पेट्रोल-डीजल पर टैक्स का हाल –

टैक्सेशन – – नवम्बर,2014 – – अगस्त,2017-

एक्साइज ड्यूटी ——– 9.20 पैसे प्रति लीटर —21.48 रूपए प्रति लीटर

एक्साइज ड्यूटी(डीजल)—-3.46 प्रति लीटर ——17.33 रूपए प्रति लीटर
पेट्रोल में बेसिक प्राइज पर वैट—- 20% ——–27% प्रति लीटर

डीजल में बेसिक प्राइज पर वैट—-12.5% —16.75% प्रति लीटर के साथ 25 पैसे सेस

मार्च,2016 का आंकडा देखें तो भारत में करीब 56 हजार 190 पेट्रोल पंप हैं। जिसमें 25 हजार इंडियन ऑयल के पेट्रोल पंप,13 हजार भारत पेट्रोलियम और हिन्दुस्तान पेट्रोलियम के हैं और करीब तीन हजार 586 एस्सार,रिलाइन्स,शैल और ओएनजीसी के पेट्रोल पंप है। सभी में रोज़ सुबह छह बजे नई दरों के हिसाब से पेट्रोल-डीजल का बेचान होता है। राजस्थान में तीन हजार 739 पेट्रोल पंप है। जिसमें से आईओसीएल के एक हजार 630,एचपीसीएल के 977, बीपीसीएल के 819 और 310 अन्य कंपनियों के हैं। अलग-अलग राज्य सरकारें पेट्रोल और डीजल पर अपना टैक्स जोड़ती है। राजस्थान में एक महीने में छह रूपए पेट्रोल के दाम बढ़े है। राजस्थान सरकार सेलटैक्स के पेटे में पेट्रोल पर 30%और डीजल पर 22% टैक्स लेती है। वहीं रोड सेस के पेटे से पेट्रोल पर 1.50 रूपए और डीजल पर 1.75 रूपए अतिरिक्त लेती है।
इस वीडियो में देखिए क्या कभी भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम कम होंगे ? क्या दाम कम नहीं कर पाना सरकारों की मजबूरी है या आमदनी का फेर, दाम कम होने नहीं देता। देखिए प्राइम टाइम डिबेट का ये हिस्सा, जिसमें पेट्रोल और डीजल के दामों पर जनता की राय भी शामिल है।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कैसे क्रूड ऑयल को लेकर भाव गिर रहे हैं। जून 2017 में 52 डॉलर प्रति बैरल का भाव था जो अब 48.64 पर पहुंच चुका है। मई,2014 से तुलना करें तो 110 डॉलर प्रति बैरल का अंतर्राष्ट्रीय भाव था और भारत में 71 रूपए लीटर पेट्रोल मिल रहा था। जबकि डीजल 62-63 रूपए प्रति लीटर था। अब 50 डॉलर प्रति बैरल का भाव है और 72 से 80 रूपए के बीच पेट्रोल मिल रहा है।
तारीख़——————– भाव 


01 जून 2017 – 52 डॉलर प्रति बैरल

15 जून 2017 – 42 डॉलर प्रति बैरल

01 जुलाई 2017 – 47 डॉलर प्रति बैरल

01 अगस्त 2017 – 49 डॉलर प्रति बैरल
22 अगस्त 2017 – 47.37 डॉलर प्रति बैरल

13 सितम्बर 2017 – 48.64 डॉलर प्रति बैरल

कंपनियों को क्रूड ऑयल रिफाइन करने में कितना खर्च ? 

पेट्रोलियम सेक्टर से जुड़े लोगों की स्पष्ट राय है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार से लेकर रिफाइन होने की प्रक्रिया के बाद टैक्सेशन को अलग कर दें तो पेट्रोल की बाजार में कीमत 31 रुपए से ज्यादा नहीं हो सकती। इंडियन ऑयल,हिंदुस्तान पेट्रोलियम,भारत पेट्रोलियम के पास कच्चे तेल को रिफाइन करने का काम है। ये कंपनियां एक लीटर कच्चे तेल के लिए करीब 21.50 रुपए का भुगतान करती हैं। एंट्री टैक्स,रिफाइनरी प्रोसेसिंग,लैंडिंग कॉस्ट और अन्य ऑपरेशनल कॉस्ट को मिलाकर रिफाइन करने में 9.34 रूपए से ज्यादा खर्च नहीं हो सकता। जानकारों के मुताबिक एक लीटर पेट्रोल तैयार करने में ऑयल कंपनियों को करीब 31 रुपए का खर्च आता है।
पेट्रोल के आपकी गाडी के टैंक में आने तक भारी टैक्सेशन है। इसीलिए अलग-अलग जगहों में 70 से 80 रूपए तक पेट्रोल की दरें हैं। दरअसल, दुनिया में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत के मामले में अमेरिका,चीन,जापान के बाद चौथे नंबर पर भारत है। भारत में रोज़ाना 37 लाख 35हजार बैरल रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों की खपत होती है। अब ये समझाने की जरूरत नहीं कि 135 करोड़ की आबादी के लिए अच्छे दिनों के मायने क्या होगे…और वो कैसे लाए जा सकते हैं…। तय सरकारों को करना है, तेल कंपनियों को करना है क्योंकि पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दाम जनता की जेब पर भारी पड़ रहे हैं।
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