सरकारी स्कूल में संतोष नहीं और निजी स्कूल सुरक्षित नहीं। ऐसे में सवाल ये है कि क्या किया जाए ? कहां जाया जाए ? जहां शिक्षा और सुरक्षा दोनों की गारंटी मिल सके। सात साल के बच्चे प्रद्युम्न की हत्या के बाद चाहे सरकारी हो या निजी स्कूल…सुरक्षा के लिहाज से व्यवस्थाओं की पड़ताल करना जरूरी है।
देखिए पत्रिका प्राइम टाइम डिबेट का पहला हिस्सा, जहां प्रश्न उठाए जा रहे हैं मुद्दे से जुड़े हत्या के मामले को लेकर प्रद्युमन के पिता ने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। याचिका में कहा कि ये सिर्फ एक मामला नहीं बल्कि देश के सभी स्कूलों के मैनेजमेंट की जवाबदेही,देनदारी और जिम्मेदारी तय करने का मामला है। भविष्य में स्कूल के भीतर बच्चों के साथ कोई घटना हो तो मैनेजमेट से लेकर प्रमोटर तक जिम्मेदारी तय करने की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने इस संज्ञान में लेते हुए केन्द्र सरकार, हरियाणा सरकार,सीबीएसी को नोटिस जारी किया है। जाहिर है कि सुप्रीम कोर्ट ने समझा है कि ये मामला वाकई बच्चों की सुरक्षा के लिहाज से गंभीर है। बच्चों की सुरक्षा के मामले में क्या होना चाहिए…इसकी गाइडलाइन और सुरक्षा के प्रोटोकॉल तय करने जरूरी लग रहे है। क्या होगा, कैसे सिस्टम में सुधार आएगा…
अगर आप एक अभिभावक हैं, तो जानिए, कैसे तय होगी बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा ? स्कूल,प्रशासन,अभिभावक को साथ आना होगा नीति बनाना आसान लेकिन इसे लागू करना सबसे अहम काम अपराध हुए बिना इस पर सोचने तक की नीति नहीं
बच्चों की सुरक्षा के मामले में स्कूल, अभिभावकों की पेरेन्ट टीचिंग मीटिंग में चर्चा हो स्कूल स्टाफ नियुक्ति से पहले पुलिस वेरिफिकेशन होना अनिवार्य हो,सांस्कृतिक पृष्ठभूमि की जांच हो बच्चों से डील करने के लिए उनकी स्पेशल ट्रेनिंग हो
बाहरी व्यक्ति का स्कूल परिसर में आना,वॉशरूम में जाना,कॉरी़डोर में घूमने के मामलों में निगरानी हो जहां-जहां बच्चे जाते हैं वहां बाहरी लोगों के जाने पर नज़र रखना जरूरी बच्चों को अकेला नहीं छोड़ना चाहिए, हमेशा निगरानी ज़रूरी है
वो शौचालय, खेल का मैदान, स्कूल पहुंचाने वाली गाड़ी कहीं बच्चा अकेला ना जाए सिर्फ एजुकेशन नहीं सुरक्षा के मामलों में शिक्षकों की भागीदारी ज़रूरी अभिभावकों और स्कूलों को मिलकर निगरानी बढ़ानी होगी
अभिभावक बच्चों की निगरानी की जिम्मेदारी से स्कूल पर थोपने से बचें स्कूल और घर के बीच ज्यादा दूरी न हो स्कूलों में सिक्यूरिटी प्रोटोकॉल बनाकर लागू किया जाए अभिभावक स्कूल में सुरक्षा को लेकर सवाल जरूर पूछें
प्रशासन की ओर से आकस्मिक निरीक्षण की प्रभावी व्यवस्था हो
देखिए, रसूखदारों की शिक्षण संस्थाओं के मुद्दे पर निजी स्कूल संचालक, कांग्रेस और बीजेपी के नेताओं के बीच तीखी बहस… दरअसल, मुद्दा ये है कि स्कूल जिंदगी की शुरुआती दौर की पाठशाला है जहां अभिभावक अपने बच्चों से जुड़े सपनों को पूरा होता देखना चाहते हैं। स्कूल प्रबंधन से जुड़े लोगों को इस बात का मर्म समझना होगा। अगर आप अभिभावक है तो ऐसे मामलों में सिर्फ चिंता करने से काम नहीं होगा। स्कूलों में प्रबंधन से बात कीजिए। पेरेन्ट टीचर्स मीटिंग में सिर्फ पढ़ाई ही नहीं बच्चों की सुरक्षा का मुद्दा उठाइए। बच्चों से संवाद भी बढ़ाइए ताकि उसे हर मुश्किल का समाधान आपके नजरिए से मिले।
उम्मीद की जानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट के दखल से स्थिति में सुधार होगा और हो सकता है कि देश भर में स्कूलों में शिक्षा और सुरक्षा के लिए नई गाइड लाइन्स और प्रोटोकॉल बनें, जिन्हें सरकारें आम तौर पर अनदेखा कर देती है।
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