एसीबी के डीजी आलोक त्रिपाठी ने बताया कि सांगानेर तहसील के पटवारी मानसरोवर निवासी प्रताप सिंह और उसके भांजे भवनेश सिह को गिरफ्तार किया गया है। भवनेश पटवारी के लिए दलाली का काम करता था, जिसके पास से सरकारी दस्तावेज और पटवारी की सील भी बरामद की गई है। त्रिपाठी ने बताया कि गुरुवार को परिवादी कृष्ण मीणा ने भूखंड के पट्टे की नकल देने के एवज में रिश्वत मांगने की शिकायत की थी। इसपर एसीबी के निरीक्षक मांगीलाल की टीम ने मामले का सत्यापन कर शुक्रवार को दोनों आरोपियों को रंगे हाथ दबोच लिया।
घर के पास ही ली रिश्वत
मानसरोवर में मानक पथ निवासी पटवारी प्रताप सिंह के दलाल भवनेश ने परिवादी को नकल देने की एवज में पहले सात हाजार रुपए की रिश्वत मांगी। परिवादी ने गरीबी का हवाला दिया तो मांग छह हजार पर आ गई। अंत में मामला पांच हजार रुपए की रिश्वत देने पर तय हुआ। भवनेश ने 1500 रुपए एडवांस लेकर परिवादी को शुक्रवार सुबह पटवारी के घर से पास ही बुला लिया, जहां रिश्वत की शेष राशि 3500 रुपए लेते पहले भवनेश को और फिर बाद में पटवारी प्रताप सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
मानसरोवर में मानक पथ निवासी पटवारी प्रताप सिंह के दलाल भवनेश ने परिवादी को नकल देने की एवज में पहले सात हाजार रुपए की रिश्वत मांगी। परिवादी ने गरीबी का हवाला दिया तो मांग छह हजार पर आ गई। अंत में मामला पांच हजार रुपए की रिश्वत देने पर तय हुआ। भवनेश ने 1500 रुपए एडवांस लेकर परिवादी को शुक्रवार सुबह पटवारी के घर से पास ही बुला लिया, जहां रिश्वत की शेष राशि 3500 रुपए लेते पहले भवनेश को और फिर बाद में पटवारी प्रताप सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया गया।
तीन माह बाद थी सेवानिवृत्ति
एसीबी ने बताया कि पटवारी प्रताप सिंह तीन माह बाद ही सेवानिवृत होने वाला था। इसके चलते वह नौकरी के अंतिम दिनो में भी रिश्तेदार भवनेश के मार्फत रिश्वत लेने में जुटा हुआ था। इसके अलावा पटवारी ने भवनेश को भी गिरदावरी के नाम पर फर्जी तरीके से सांगानेर तहसील से ग्राम प्रतिहारी के पद पर तैनात कर रखा था।
एसीबी ने बताया कि पटवारी प्रताप सिंह तीन माह बाद ही सेवानिवृत होने वाला था। इसके चलते वह नौकरी के अंतिम दिनो में भी रिश्तेदार भवनेश के मार्फत रिश्वत लेने में जुटा हुआ था। इसके अलावा पटवारी ने भवनेश को भी गिरदावरी के नाम पर फर्जी तरीके से सांगानेर तहसील से ग्राम प्रतिहारी के पद पर तैनात कर रखा था।