ज्योतिषाचार्य पंडित एमकुमार शर्मा के अनुसार धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टि से सूर्य प्रत्यक्ष देवता हैैं। सभी ज्योतिषीय और पौराणिक ग्रंथों में सूर्य को विष्णुजी का स्वरूप भी बताया गया हैैैं। ज्योतिष में तो साफ कहा जाता है कि जिनकी कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी होती है, उनके अन्य सभी दुर्याेग खत्म हो जाते हैं। भगवान सूर्य की पूजा करने से उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे खासतौर पर राजकीय कामों से आसानी से सफलता मिलने लगती है।
हिंदू संवत्सर में साल के 12 माह होते हैं और धर्मग्रंथों के अनुसार इन सभी माहों के सूर्य के अलग-अलग स्वरूप हैं। इस प्रकार 12 माह में सूर्य के 12 अलग-अलग नामों से पूजा की जाती है। पौष माह में सूर्य के भग नामक स्वरूप की पूजा का विधान है। भग का वर्ण रक्त के समान पूर्णतः लाल बताया गया है। भग स्वरूप मेें भगवान सूर्य ग्यारह हजार किरणों के युक्त होते हैं। इसलिए इन्हेें साक्षात परब्रह्म माना गया है।
पौष माह में खासतौर पर रविवार को व्रत रखकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। तांबे के लोटे में रोली, चंदन और लाल रंग के फूल डालकर सूर्य को जल अर्पित करते समय गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। इस दिन भोजन में नमक का उपयोग नहीं करना चाहिए। आदित्य पुराण के अनुसार रविवार को सूर्यपूजन से तेजस्विता बढती है और आरोग्य प्राप्त होता है। अथर्ववेद और सूर्योपनिषद के अनुसार पौष मास में सूर्य पूजा से आरोग्य और ऐश्वर्य प्राप्त होता हैैं।