scriptयहां लोगों की मजबूरी ऐसी की रातभर जागना पड़ता है | People are compelled to stay here all night | Patrika News

यहां लोगों की मजबूरी ऐसी की रातभर जागना पड़ता है

locationजयपुरPublished: Mar 15, 2020 12:44:37 am

Submitted by:

manoj sharma

नांगल भरड़ा में पैंथर का मूवमेंट, ग्रामीणों में दहशतसंसाधनों के अभाव में वनकर्मी भी असहाय

यहां लोगों की मजबूरी ऐसी की रातभर जागना पड़ता है

नांगल भरड़ा के वन क्षेत्र में पैंथर के पगमार्ग खोजते वनकर्मी।

जयपुर ञ्च पत्रिका. वन नाका सामोद इलाके में पैंथर की आवाजाही से ग्रामीण दहशत में है। अरावली की पहाडिय़ों व वनक्षेत्र होने के कारण क्षेत्र में विभिन्न स्थानों पर पैंथर अपने कुनबे के साथ कई बार दिखाई दे चुका है। पहले पैंथर का मूवमेंट केवल पहाड़ व वन क्षेत्र में ही रहता था, लेकिन अब पैंथर शिकार व पानी की तलाश में आबादी क्षेत्र में आने लगे है। पैंथरों ने आबादी क्षेत्र में घुसकर कई मवेशियों को अपना शिकार बनाया है। शुक्रवार देर शाम व शनिवार सुबह नागल भरड़ा पैंथर अपने कुनबे के साथ देखाई देने से क्षेत्र में भय का माहौल है। लोग रातभर जगकर अपने मवेशियों की सुरक्षा कर रही है। नांगल भरड़ा पूर्व सरपंच सोहनलाल जांगिड़ ने बताया कि शुक्रवार देर शाम बीड़वाली ढाणी में पैंथर दो शावकों के साथ दिखाई दिया। इस दौरान ग्रामीणों ने पैंथर को वन क्षेत्र में भगा दिया, लेकिन कुछ देर बाद पैंथर वापस ढाणी में आ गया और एक किसान के घर से पालतू स्वान उठा कर ले गया। इसके बाद ग्रामीणों ने पूरी रात जग कर लाठियों के सहारे अपने पालतू मवेशियों की सुरक्षा कर रात बिताई। शनिवार सुबह पैंथर एक बार फिर अपने कुनबे के साथ ढाणी में वापस आ गया। अल सुबह पैंथर को देखकर ग्रामीण भाग छूटे। बाद में ग्रामीणों ने इसकी सूचना सामोद वन नाका पर दी। सूचना पर पहुंचे वन नाका पाल बनवारी लाल वर्मा, वनकर्मी अमीन मीणा, अमरसिंह ने पैंथर के पगमार्क लिए और पैंथर के मूवमेंट की पुष्टि की। वन नाका पाल बनवारी लाल ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर नांगल भरड़ा की बीड वाली ढाणी में पहुंच कर पगमार्क लिए। प्रारम्भिक जांच में पाया कि पगमार्ग पैंथर व उसके दो शावकों के है।
संसाधनों के नाम पर लाठी का सहारा
सामोद वन नाका करीब 1887 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। इतने बड़े वन क्षेत्र की सुरक्षा के लिए वन कर्मियों के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होने से वनकर्मी समय पर नहीं पहुंच पाते है। संसाधनों के नाम पर वनकर्मी लाठियों के सहार क्षेत्र की सुरक्षा कर रहे है। वाहन और हथियार तो दूर रात्रि गश्त के लिए इनके पास टॉच तक भी नहीं है। ऐसे में वनकर्मी भी सुरक्षा को लेकर नकारा साबित हो रहे है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो