जयपुर

पदाधिकारी मूलभूत सुविधाओं के लिए कर रहे मशक्कत, एकजुटता के दम पर जुटाई फैसेलिटीज

आलाधिकारियोंं के साथ मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ

जयपुरApr 11, 2018 / 01:36 pm

Priyanka Yadav

जयपुर . खिरणी फाटक 1984 में कॉलोनी की बसावट शुरू हो गई थी। नब्बे का दशक आते-आते यहां कई मकान बन चुके थे। रिहायश बढऩे के साथ ही उम्मीदों व दिक्कतों में इजाफा होने लगा। कच्चे रास्ते, अंधेरी गलियां, जगह-जगह गंदगी, अधूरा नियमन, जलापूर्ति में दिक्कत। ये वो समस्याएं थीं जिनसे निजात पाना जरूरी हो गया था। ऐसे में इन समस्याओं से निजात पाने के लिए 2005 में विकास समिति का गठन किया गया। समिति के जागरुक पदाधिकारियों ने भागदौड़कर काफी हद तक सुविधाए जुटाई और कॉलोनी को पहचान दिलाने में सफलता पार्ई। ये कहना हैं खिरणी फाटक के पास तारानगर सी कॉलोनी में गठित श्री राम तारानगर विकास समिति के पदाधिकारियों का। ये बताते हैं कि समिति के गठन के बाद से अभी तक पदाधिकारी डवलपमेंट स्टोरी लिखने में बिजी हैं। विकास के एक-एक टुकड़े के लिए काफी भाग-दौड़ की गई। सरकारी दफ्तरों से लेकर जनप्रतिनिधियों के घर तक कई चक्कर लगाए तब कहीं जाकर कॉलोनी में हालात बेहतर हो पाए हालांकि कुछेक बड़ी समस्याओं के समाधान को लेकर अभी भी पुरजोर प्रयासरत है। इनका कहना हैं कि समिति कॉलोनी के लोगों को एकता के सूत्र में पिराए रखने में भी अहम योगदान निभा रहीं है। यहां समिति की ओर से होली-दीवाली स्नेह मिलन समारोह, दशहरा सहित कई कार्यक्रम भी आयोजित करते है। इनमें बड़ी तादाद में स्थानीय बाशिंदे जुटते है।
 

चलाते सफाई अभियान

पदाधिकारियों ने बताया कि समिति का कॉलोनी की सफाई व्यवस्था पर पुरा फोकस है। यहां कई साल से समिति की ओर से यहां पिछले कई सालों से कचरा संग्रहण के लिए कर्मचारी नियुक्त कर रखा है। ये डोर टू डोर कचरा संग्रहण करता है। इसके अलावा टीम 14 के संयुक्त तत्वावधान में भी कई बार सफाई अभियान चलाए गए। जिसमें बड़ी संख्या में लोग जुटे। बात करे सुरक्षा व्यवस्था की तो उसके लिए यहां कुछ साल पहले स्थानीय विधायक से आग्रह कर छह गेट लगवाए गए। कुछ समय गार्ड रखा, उसके बाद लोग अपने स्तर पर व्यवस्थाएं संभालने लगे फिलहाल ये गेट रात-दिन खुले ही रहते है।
 

प्रयास कर बनवाई रोड

इनका कहना हैं कि समिति गठित होने से कॉलोनी में एक मात्र ही रोड थीं जबकि गलियों में कच्चे रास्ते थे। ऐसे में पदाधिकारियों ने कभी जेडीए आलाधिकारियों तो कभी जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया। इसके बाद 2007 में पहली बार रोड की सौगात मिली। इसके बाद दुबारा डामरीकरण के प्रयास किए तो पेचवर्क कर कन्नी काट लीं। ऐसे में कई जगह से सड़कें क्षतिग्रस्त हो रखीं है। इसके लिए पिछले दिनों स्थानीय पार्षद को भी ज्ञापन भेजा है।
 

निजी स्तर पर होती थी जलापूर्ति

कॉलोनी की बसावट हुई तब यहां खेती की भूमि थीं, आसपास फसले लहराती थीं। ऐसे में यहां कास्तगार के एक कुंए से जलापूर्ति होती थीं। समय के साथ इसमें भी दिक्कते शुरू होने लग गई। ऐसे में समिति पदाधिकारियों ने जलदाय विभाग के आलाधिकारियों से आग्रहकर पेयजल लाइन से जुड़ाव कराया। कुछ सालों पहले बीसलपुर लाइन से भी जुड़ाव हो गया।
 

पार्क का डवलपमेंट अधूरा

समिति पदाधिकारियों ने प्रयासकर कॉलोनी में तीन जगह खाली पड़ी भूमि को भागदौड़कर पार्क में तब्दील कराया। काफी प्रयासों के बाद उनकी बाउंड्रीवाल कराई। इसके अलावा कोई डवलपमेंट नहीं हुआ। इसको लेकर कई बार जेडीए अधिकारियों से मिल चुके उसके बाद भी अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ। इसके अलावा सीवरेज लाइन डलवाई। कई विद्युत पोल पर स्ट्रीट लाइटें नहीं थीं। वहां स्ट्रीट लाइटे लगवाई। समय समय पर इसकी मेंटिनेस भी कराते है।
 

सीएम से भी लगा चुके गुहार

बसावट के तीन दशक बाद भी 43 बीघा में बसी कॉलोनी नियमन को लेकर प्रयासरत है। इसके लिए आलाधिकारियोंं के साथ मुख्यमंत्री तक गुहार लगा चुके, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। ये नहीं होने से बाशिंदों को कई दिक्कतें हो रहीं है। पदाधिकारियों का कहना हैं कि चाहे जितना वक्त लगे, कॉलोनी को अप्रूव्ड कराकर ही दम लेंगे। इसके नहीं होने से मूलभूत सुविधाएं जुटाने में दिक्कतें हो रहीं है।
 

ये बने पदाधिकारी

अध्यक्ष- भवानी सिंह मुण्डरू
सचिव- राजकुमार सिंह पंवार
उपाध्यक्ष- जगन्नाथ चौधरी, रेणू कुमावत
कोषाध्यक्ष- शुभदेश सिंह चौहान
संयुक्त सचिव- शीश राम ढिल्लन

 

इसको लिए प्रयासरत
– डामरीकरण
– नियमन
– पार्कों का डवलपमेंट
 

ये कराया डवलपमेंट

– 2007 रोड बनवाई और स्ट्रीट लाइटें लगवाई।
– 2010 पेजयल लाइन से जुड़ाव और सीवरेज लाइन डलवाई।
– 2012 पार्क की बाउंड्रीवाल कराया और गेट लगवाए।

 

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