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लेपर्ड से दहशत

locationजयपुरPublished: Sep 20, 2019 03:40:07 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

लेपर्ड से दहशतस्मृति वन के बाद अब एमएनआई में नजर आया लेपर्डललित कला अकादमी में किया था श्वान का शिकारलेपर्ड की तलाश करने में वन विभाग नाकामढाई साल पहले भी सड़क पर दौड़ा था लेपर्ड

लेपर्ड से दहशत

लेपर्ड से दहशत

छह दिन पहले ललित कला अकादमी ( Lalit kala academy ) में देखा गया लेपर्ड ( Leopard ) एक बार फिर नजर आया है। बुधवार को स्मृति वन ( Smriti van ) में लेपर्ड के पगमार्क ( pagmark ) देखे गए थे और अब उसे देखा गया है एमएनआई ( MNIT ) में। पिछले छह दिनों से उसकी तलाश जारी है लेकिन वन विभाग के कर्मचारी खाली हाथ हैं। पिछले छह दिनों से आमजन में दहशत बनी हुई है। वजह है इन छह दिनों में तीन अलग अलग स्थानों पर लेपर्ड को स्पॉट किया गया है लेकिन वन विभाग उसे पकडऩा तो दूर उसके पगमार्क तक नहीं देख पा रहा है। आपको बता दें कि छह दिन पूर्व ललित कला अकादमी में लेपर्ड को एक श्वान का शिकार करते हुए देखा गया था लेकिन वन विभाग की टीम को वहां पगमार्क नजर नहीं आए। इसके बाद बुधवार को कपूर चंद कुलिश स्मृति वन में लेपर्ड देखा गया था, वहां आमजन की आवाजाही पर रोक लगा दी गई। वन विभाग की ओर से लेपर्ड को पकडऩे के लिए स्मृति वन में पिंजरा भी लगाया गया, लेकिन अभी तक लेपर्ड पकड़ में नहीं आया। इसके साथ ही ट्रैप कैमरे भी लगाए गए,जिनमें भी लेपर्ड नजर नहीं आया। अब जैसे ही विभाग को एमएनआईटी में उसके होने की सूचना मिली तो स्मृति वन में लगाए गए पिंजरे वहां से उठाकर एमएनआईटी में लगा दिए गए। स्मृति वन में अब केवल कैमरे लगा कर ही मॉनिटरिंग की जा रही है।
लेपर्ड देखे जाने की यह कोई पहली घटना नहीं
आपको बता दें कि राजधानी में लेपर्ड देखे जाने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पूर्व भी कई बार इस क्षेत्र में लेपर्ड का मूवमेंट देखा गया था। करीब ढाई साल पहले भी मार्च 2017 में लेपर्ड को जेएलएन मार्ग पर दौड़ता हुआ देखा गया था। इसके बाद यह कुलिश स्मृति वन में घुस गया था। इसके चलते पहले भी स्मृति वन को कुछ समय के लिए बंद रखना पड़ा था। वन विभाग ने यहां पर शिकार रखकर पिंजरे भी लगाए लेकिन लेपर्ड किसी को नजर नहीं आया। लेपर्ड नहीं दिखने पर स्मृति वन को फिर से खोला गया था। अब एक बार फिर वही स्थिति पैदा हो गई है। लगातार नाकामी से वन विभाग की रेस्क्यू टीम पर सवालिया निशान उठ रहे हैं। वहीं इस संबंध में विभागीय अधिकारियों का कहना है कि लेपर्ड की मूवमेंट बढऩे से यह परेशानी पैदा हो रही है। जब तक उसके वापस जाने के रास्ते का पता नहीं चलता तब तक स्थिति पर काबू पानी मुश्किल है। अब देखना यह है कि वन विभाग लेपर्ड को पकडऩे में सफल हो पाता है अथवा नहीं।

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