एडवोकेट लोकेन्द्र सिंह शेखावत ने बताया कि प्राधिकरण ने याचिका में बताया है कि राज्य की जेलों में 65 साल से ज्यादा उम्र के कुल 360 बंदी हैं। राजस्थान पैरोल नियम-1958 में ज्यादा उम्र और विभिन्न प्रकार से अक्षम हो चुके बंदियों को स्थायी पैरोल पर समय से पहले रिहा करने के कोई प्रावधान नहीं हैं। ज्यादा उम्र होने के कारण इन बंदियों को नियमित स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिलने से भी भारी परेशानी होती है। इसलिए इन्हें समय पूर्व स्थायी पैरोल पर रिहा किया जाए। इसके अतिरिक्त राज्य की जेलों मंे कुल 539 महिला बंदी हैं। इनमें से एक अप्रेल,2019 तक बच्चों वाली 12 महिलाएं हैं। इसलिए बच्चों के साथ जेल में रहने वाली महिलाओं को ओपन जेल में शिफ्ट किया जाए। इसके साथ ही रजिस्ट्रार जनरल को इनके मुकदमों की जल्द सुनवाई करवाने के निर्देश दिए जाएं। जेल में सभी बंदियों का हर महीने नियमित मेडिकल चैकअप करवाकर इनकी मेडिकल हिस्ट्री की शीट तैयार की जाए।
कोर्ट ने 24 जुलाई को सरकार को मामले का परीक्षण करके हर बंदी का अपराध,जेल में बिताई गई अवधि व बीमारी आदि की स्टेट्स रिपोर्ट 22 अगस्त तक पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले में शुक्रवार को सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कोर्ट आदेश के अनुसार स्टेट्स रिपोर्ट तैयार हो गई है और कुछ कमियों को दूर करके पेश करने के लिए समय दिया जाए। इस पर कोर्ट ने सरकार को आखिरी मौका देते हुए सुनवाई 25 सितंबर को तय की है।