विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च में सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर एक्साइड ड्यूटी में 3 रुपए प्रति लीटर का इजाफा कर दिया था, लेकिन तेल कंपनियों ने इसे ग्राहकों पर पास ऑन नहीं किया यानी कीमतों में टैक्स नहीं बढ़ाया। इसीलिए अब वो पेट्रोल पर रोजाना दाम बढ़ा रही है। इसके अलावा लॉकडाउन में ढील के बाद अचानक से पेट्रोल और डीजल की मांग बढ़ी है। रुपए में गिरावट से भी तेल कंपनियों की चिंता बढ़ी है। लॉकडाउन के बीच तेल कंपनियों को नुकसान उठाना पड़ा था, अब वे इसकी भरपाई करना चाहेंगी। तेल मंत्रालय के पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के आंकड़ों के मुताबिक, मई में तेल की कुल खपत 1.465 करोड़ टन रही, जो अप्रेल के मुकाबले 47.4 फीसदी ज्यादा है। हालांकि लेकिन पिछले साल की समान अवधि की तुलना में यह मांग 23.3 फीसदी कम है।
कोरोना संक्रमण सामने आने और लॉकडाउन के कारण सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने 16 मार्च से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोजाना आधार पर होने वाले बदलाव को बंद कर दिया था। 7 जून को कंपनियों ने पहली बार देश में एक साथ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की थी। यह बढ़ोतरी करीब 80 दिन बाद की गई थी।
बता दें कि प्रति दिन सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। सुबह छह बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं। पेट्रोल व डीजल के दाम में कीमत में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोडऩे के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है।
विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या है, इस आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। इन्हीं मानकों के आधार पर पर पेट्रोल रेट और डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। डीलर पेट्रोल पंप चलाने वाले लोग हैं। वे खुद को खुदरा कीमतों पर उपभोक्ताओं के अंत में करों और अपने स्वयं के मार्जिन जोडऩे के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है। देश में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स 69 फीसदी हो गया है, जो विश्व में सबसे ज्यादा है। पिछले साल तक भारत में पेट्रोल-डीजल पर 50 फीसदी तक टैक्स था।
पेट्रोल-डीजल की कीमत आप एसएमएस के जरिए जान सकते हैं। इंडियन ऑयल की वेबसाइट के अनुसार, आपको आरएसपी और अपने शहर का कोड लिखकर 9224992249 नंबर पर भेजना होगा। हर शहर का कोड अलग-अलग है, जो आपको आईओसीएल की वेबसाइट से मिल जाएगा।