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राजस्व संग्रह के बोझ तले दबी है पेट्रोल-डीजल की कीमतें

locationजयपुरPublished: Jun 14, 2020 01:25:48 pm

कोराना वायरस ( Korana virus ) के कारण देशभर में व्यापारिक गतिविधियां ( business activity ) लगभग ठप सी पड़ी है। इससे देश की अर्थव्यवस्था ( country’s economy ) के साथ-साथ सरकार के राजस्व ( government’s revenue ) में भी भारी कमी आई है, जिसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को विभिन्न तरह के प्रयास करने पड़ रहे है। सरकार की ओर से राजस्व बढ़ाने के लिए कोविड टैक्स ( Kovid tax ) तक लगाना पड़ रहा है। अब सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों से राजस्व बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं दिख रहा है।

राजस्व संग्रह के बोझ तले दबी है पेट्रोल-डीजल की कीमतें

राजस्व संग्रह के बोझ तले दबी है पेट्रोल-डीजल की कीमतें

जयपुर। कोराना वायरस के कारण देशभर में व्यापारिक गतिविधियां लगभग ठप सी पड़ी है। इससे देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सरकार के राजस्व में भी भारी कमी आई है, जिसके लिए केन्द्र और राज्य सरकारों को विभिन्न तरह के प्रयास करने पड़ रहे है। सरकार की ओर से राजस्व बढ़ाने के लिए कोविड टैक्स तक लगाना पड़ रहा है। अब सरकार को पेट्रोलियम उत्पादों से राजस्व बढ़ाने के अलावा और कोई चारा नहीं दिख रहा है। क्योंकि अगर ऐसा नहीं होता तो, घरेलू बाजार में पेट्रोल की खुदरा कीमतें आठ दिनों में पेट्रोल 4.83 रुपए और डीजल में 4.59 पैसे प्रति लीटर का इजाफा किया जा चुका है। यह स्थिति तब है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत अभी ४० डॉलर प्रति डॉलर है। इस तरह से देखा जाए तो चार महीने पहले जब क्रूड 60.65 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर था तब भी आम जनता को पेट्रोल व डीजल इतना महंगा नहीं खरीदना पड़ता।
इस वृद्धि का मतलब यही हुआ कि जब क्रूड की कीमत कुछ ही दिनों में 60 डॉलर से घटकर 30 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, तब उसका फायदा आम जनता को नहीं मिला। लेकिन अब इसमें महज सात-आठ डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि हो गई तो उसका बोझ उन्हें उठाना पड़ रहा है। पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रलय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत ने मार्च 2020 में औसतन 33.60 डॉलर प्रति बैरल की दर से क्रूड खरीदा है। चालू वित्त वर्ष के पहले महीने (अप्रेल-2020) में यह घटकर 19.90 डॉलर प्रति बैरल हो गया। मई में यह फिर बढ़कर 30.60 डॉलर प्रति बैरल के आसपास हो गया था।
7 जून से लगातार बढ़ रही कीमत
कोरोना संक्रमण सामने आने और लॉकडाउन के कारण सरकारी तेल विपणन कंपनियों ने 16 मार्च से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोजाना आधार पर होने वाले बदलाव को बंद कर दिया था। 7 जून को कंपनियों ने पहली बार देश में एक साथ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की थी। यह बढ़ोतरी करीब 80 दिन बाद की गई थी।
प्रति दिन छह बजे बदलती है कीमत
बता दें कि प्रति दिन सुबह छह बजे पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। सुबह छह बजे से ही नई दरें लागू हो जाती हैं। पेट्रोल व डीजल के दाम में कीमत में एक्साइज ड्यूटी, डीलर कमीशन और अन्य चीजें जोडऩे के बाद इसका दाम लगभग दोगुना हो जाता है।
ऐसे तय होती है तेल की कीमत
विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें क्या है, इस आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। इन्हीं मानकों के आधार पर पर पेट्रोल रेट और डीजल रेट रोज तय करने का काम तेल कंपनियां करती हैं। डीलर पेट्रोल पंप चलाने वाले लोग हैं। वे खुद को खुदरा कीमतों पर उपभोक्ताओं के अंत में करों और अपने स्वयं के मार्जिन जोडऩे के बाद पेट्रोल बेचते हैं। पेट्रोल रेट और डीजल रेट में यह कॉस्ट भी जुड़ती है। देश में पेट्रोल-डीजल पर टैक्स 69 फीसदी हो गया है, जो विश्व में सबसे ज्यादा है। पिछले साल तक भारत में पेट्रोल-डीजल पर 50 फीसदी तक टैक्स था।
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