भाजपा के राजेन्द्र राठौड़ ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ने बजट भाषण में कर नहीं लगाने की घोषणा की और सदन के बाहर पेट्रोल-डीजल पर कर बढ़ा दिया, इससे प्रदेश में पेट्रोल-डीजल पड़ोसी राज्यों के मुकाबले महंगा हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य सरकार को लोकसभा चुनाव ( Loksabha election 2019 ) के बाद अडाणी से प्यार हो गया। राठौड़ ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की समयसीमा और प्रदेश का कर्जा बढऩे को लेकर भी सवाल उठाए। राठौड़ के अपनी बात समाप्त करते ही परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने आरोप लगाया कि पेट्रोल—डीजल पर पांच साल में दरें बढ़ी इसके लिए भाजपा जिम्मेदार है।
राठौड़— सीएम ने मेट्रो के विस्तार की बात कही, लेकिन बजट प्रावधान ही नहीं किया है।
धारीवाल— मुख्यमंत्री ने मेट्रो के विस्तार को बजट के लिए नहीं कहा। हां, डीपीआर बनवाई जा रही है। जहां तक मेट्रो को आर्थिक नुकसान का सवाल है, कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम फायदे में नहीं होता और घाटे के लिए क्या पिछली सरकार ने रोडवेज को बंद कर दिया।
राठौड़: मेट्रो सफेद हाथी है, खाली चल रही है। इसके नुकसान को कैसे कम किया जाएगा?
खाचरियावास— भाजपा सरकार ने रोडवेज को बर्बाद करने का काम किया। टायर और लोहा तक ले गए।
राठौड़— परिवहन मंत्री जी सरकार बाजुओं से नही, दिमाग से चलती है।
रघु शर्मा—बाजु की बात हटाई जाए।
निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ( Sanyam Lodha ) ने सीएजी की रिपोर्ट के आधार पर पिछली सरकार के समय वित्तीय अनुशासन खराब होने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के समय विकास और सामाजिक क्षेत्र का बजट कम रहा, एसडीजी में राजस्थान पुडुच्चेरी जैसी जगह से भी नीचे रहा। केवल तीन राज्य ही राजस्थान से नीचे हैं। खनन पर पिछली सरकार के समय बजट का 24 प्रतिशत हिस्सा ही खर्च हुआ। वेतन-पेंशन पर खर्च अधिक हो रहा है, इसमें मिजोरम जैसे राज्य भी हमसे बेहतर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चोरी, डकैती और हत्या के मुकदमे वापस ले लेती है, तो मॉब लिंचिंग व ऑनर किलिंग पर कानून की जरूरत क्या है?
भाजपा के ज्ञानचंद पारख ने कहा कि मुख्यमंत्री की इमानदारी व नीयत पर शक नहीं है, लेकिन उन्होंने भी कांग्रेस वालों के दामाद के लिए मजबूरी दिखाई। पारख ने पेट्रोल-डीजल पर कर बढ़ाने पर सवाल उठाया कि ऐसी क्या मजबूरी रही, जिससे सरकार को सदन के बाहर कर बढ़ाना पड़ा।
कांग्रेस के रोहित बोहरा ने कहा कि केन्द्र सरकार ने जीडीपी की गणना का तरीका ही बदल दिया है, बिना रोजगार जीडीपी बढ़ रही है। ऐसा पहली बार हो रहा है। मुद्रा योजना के कारण 17 हजार खाते एनपीए हो गए है। केन्द्र सरकार रक्षा व आंतरिक सुरक्षा का खर्च राज्यों पर डालने जा रही है, केन्द्रीय रोड फंड का पैसा केन्द्र सरकार ने राज्य को देना बंद कर दिया है।