जलदाय विभाग के अफसरों के अनुसार अभी यह स्थिति है कि जो नलकूप पानी दे रहा है वहां तक तो ठीक है। लेकिन सैंकडों नलकूप ऐसे भी हैं जो सूख चूके हैं लेकिन वे भी चौबीसों घंटे चल रहे हैं और हर महीने अनावश्यक रूप से बिजली के बिल का लाखों रुपए का पहाड खडा हो जाता है। विभाग की योजना के अनुसार अभी ब्रहम्पुरी और लक्ष्मण डूंगरी पर ये सौलर प्लांट लगाए जाएंगे। जितनी बिजली का उत्पादन होगा उससे पंप हाउस और नलकूप चलेंगे और अतिरिक्त बिजली बनेगी वह शेष बिल में समायोजित होगी।
मेडिकल कॉलेज बचा रहा है सालाना 70 लाख रुपए
एसएमएस मेडिकल कॉलेज भी कुछ समय पहले बिजली के भारी भरकम बिल से परेशान था। लेकिन यहां 100 किलोवाट क्षमता का सौलर प्लांट स्थापित किया है। अब सालाना 70 लाख रुपए के बिजली के बिल की बचत हो रही है। इस राशि को कॉलेज व एसएमएस अस्पताल में मरीजों को उपचार की सुविधाएं बढाने पर खर्च किया जा रहा है। अतिरिक्त बिजली के उत्पादन से कॉलेज की कमाई भी हो रही है।
जयपुर शहर में बीसलपुर सिस्टम के सेंट्रल व वेस्टर्न फीडर के 10 से ज्यादा पंप हाउस हैं। ये पंप हाउस पेयजल सप्लार्ई के लिए लगातार 7 दिन तक चौबीसों घंटे चलते है। जिससे बिजली का उपभोग भी लाखों यूनिट में होता है। सौलर प्लांट लगने के बाद पंप हाउस पर खर्च होने वाली बिजली का बिल भी कम हो जाएगा।