जानकारी के अनुसार अब तक ब्लीचिंग पाउडर के उपयोग से परम्परागत तरीके से जल शुद्धिकरण जलदाय विभाग कर रहा है। बीते चार साल पहले विभाग ने प्रतापनगर स्थित पंप हाउस में जल शुद्धिकरण के लिए नई तकनीक वाले प्लांट को परीक्षण के लिए लगाया था। वहीं अब विभाग ने ब्लीचिंग पाउडर की बजाय क्लोरीन डाई ऑक्साइड के उपयोग को हरी झंडी दे दी है। प्लांट में भी क्लोरीन डाई ऑक्साइड का उपयोग किया गया। जलदाय अफसरों की मानें तो क्लोरीन डाई ऑक्साइड के उपयोग से पानी की शुद्धता सटीक ढंग से हो सकेगी। वहीं जलापूर्ति वाली पेयजल लाइनों की चौकिंग की समस्या से भी राहत मिल सकेगी।
वहीं क्लोरीन डाई ऑक्साइड में जल शुद्धिकरण क्षमता 75 फीसदी आंकी गई है। गत चार साल तक प्रतापनगर पंप हाउस में किए गए परीक्षण में भी इसकी पुष्टि हुई है। जिसके बाद विभाग ने क्लोरीन डाई ऑक्साइड से जल शुद्धिकरण करने की सहमति दी है।
अब तक उपयोग हो रहा ब्लीचिंग पाउडर बेस है जबकि क्लोरीन डाई ऑक्साइड विभाग को गोलियों के रूप में सप्लाई होगा। वहीं सिटी सर्कल दक्षिण के प्रथम और द्वितीय डिवीजन कार्यालय ने टेंडर भी जारी कर दिए हैं। जिसमें क्लोरीन डाई ऑक्साइड सप्लाई करने वाली फर्म ही पंप हाउस में जल शुद्धिकरण संधारण एवं संचालन— ओएंडएम करेगी।