गौरतलब है कि अब तक सरकारी जलापूर्ति वाले पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया की पहचान के लिए पानी सैंपल की जांच रिपोर्ट 48 घंटे आती है। तब तक विभाग के पास अन्य कोई तरीका नहीं होने के चलते प्रभावित इलाकों में सरकारी जलापूर्ति करना जलदाय विभाग की मजबूरी है। वहीं अब पानी में कॉलीफॉम बैक्टिरिया की महज 10 घंटे में जांच करने का फार्मुला एमएनआईटी विशेषज्ञों ने तैयार किया है। एमएनआईटी ने जलदाय विभाग की बीस प्रयोगशालाओं को परीक्षण के लिए कॉलीफॉर्म किट उपलब्ध कराए हैं जिनकी जांच रिपोर्ट पीएचईडी लैब को मिल गई है। जांच में कॉलीफॉम किट तय मानकों पर खरी उतरी है।
पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया होने पर पानी के सेवन से उल्टी,दस्त, पीलिया,हैजा और पैचिश जैसी जानलेवा बीमारियां होती हैं। राजधानी जयपुर में ही बीते दस साल में करीब एक दर्जन लोगों की मौत सरकारी दूषित जलापूर्ति के कारण हो चुकी है। इसके चलते एमएनआईटी के विशेषज्ञ प्रोफेसर वीबी गुप्ता और उनकी टीम ने नया मीडियम कैमिकल तैयार किया है जिसके उपयोग से सरकारी जलापूर्ति के पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया की पहचान दो दिन की बजाय महज दस घंटे में करना संभव हो सकेगा।
जलदाय विभाग की स्टेट रेफरल सेंटर लेबारेट्री के चीफ केमिस्ट राकेश कुमार माथुर ने बताया कि बीते माह विभाग की राज्य व जिला स्तरीय बीस प्रयोगशालाओं के तकनीकी स्टाफ को मीडियम के उपयोग से पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया की पहचान का प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें जयपुर स्थित राज्य स्तरीय प्रयोगशाला समेत अजमेर,कोटा, भीलवाड़ा,चित्तौड़,बीकानेर, करौली, भरतपुर, उदयपुर, सीकर,टोंक, बूंदी,और कोटा समेत कुल बीस प्रयोगशालाओं को एमएनआईटी ने कॉलीफार्म किट परीक्षण के लिए दिए हैं। अधिकांश लैब से किट की जांच रिपोर्ट मिल गई है जो संतोषजनक है। अगले सप्ताह एमएनआईटी को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। वहीं नए मीडियम केमिकल की लैब के लिए खरीद को लेकर प्रस्ताव भी सरकार को भेजा जाएगा।
पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया होने पर पानी के सेवन से उल्टी,दस्त, पीलिया,हैजा और पैचिश जैसी जानलेवा बीमारियां होती हैं। राजधानी जयपुर में ही बीते दस साल में करीब एक दर्जन लोगों की मौत सरकारी दूषित जलापूर्ति के कारण हो चुकी है। इसके चलते एमएनआईटी के विशेषज्ञ प्रोफेसर वीबी गुप्ता और उनकी टीम ने नया मीडियम कैमिकल तैयार किया है जिसके उपयोग से सरकारी जलापूर्ति के पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया की पहचान दो दिन की बजाय महज दस घंटे में करना संभव हो सकेगा।
जलदाय विभाग की स्टेट रेफरल सेंटर लेबारेट्री के चीफ केमिस्ट राकेश कुमार माथुर ने बताया कि बीते माह विभाग की राज्य व जिला स्तरीय बीस प्रयोगशालाओं के तकनीकी स्टाफ को मीडियम के उपयोग से पानी में कॉलीफॉर्म बैक्टिरिया की पहचान का प्रशिक्षण दिया गया है। इनमें जयपुर स्थित राज्य स्तरीय प्रयोगशाला समेत अजमेर,कोटा, भीलवाड़ा,चित्तौड़,बीकानेर, करौली, भरतपुर, उदयपुर, सीकर,टोंक, बूंदी,और कोटा समेत कुल बीस प्रयोगशालाओं को एमएनआईटी ने कॉलीफार्म किट परीक्षण के लिए दिए हैं। अधिकांश लैब से किट की जांच रिपोर्ट मिल गई है जो संतोषजनक है। अगले सप्ताह एमएनआईटी को इसकी रिपोर्ट भेजी जाएगी। वहीं नए मीडियम केमिकल की लैब के लिए खरीद को लेकर प्रस्ताव भी सरकार को भेजा जाएगा।