गौरतलब है कि वर्ष 2014 में प्रदेश के सभी जिलों में अनुबंध के आधार पर जल विज्ञान प्रयोगशालाएं खोली गई। लेकिन अधिकांश जिलों में फर्म ने काम करना तो दूर प्रयोगशालाएं ही नहीं खोली। फर्म को कार्यादेश के अनुसार तय संख्या में पानी सैंपलों की जांच करनी थी लेकिन अधिकांश जिलों में फर्म का काम संतोषजनक नहीं रहा। दूसरी तरफ अब फर्म के कामकाज में गड़बड़झाले क बावजूद पीएचईडी मुख्यालय के अफसर जिला स्तरीय लैब से फर्म के कार्य को सत्यापित कर रिपोर्ट मांग रहे हैं। पीएचईडी में जिले के अधिकारी फर्म के कार्य की वस्तुस्थिति बताते हैं तो उन्हे धमकी तक दी जाती है।
इन जिलों से मांगी कॉस जांच रिपोर्ट
बीते 9 अक्टूबर को चीफ केमिस्ट राकेश माथुर ने जोधपुर, उदयपुर, भरतपुर, कोटा, बीकानेर,पाली, जैसलमेर,बाड़मेर,सिरोही,जालोर, सवाई माधोपुर,करौली,धौलपुर, बांसवाड़ा,राजसमंद,डूंगरपुर,चूरू, हनुमानगढ़,श्रीगंगानगर,बारां व झालावाड़ जिले के अधीक्षण अभियंता, वरिष्ठ व कनिष्ठ रसायनज्ञ को दस फीसदी नमूनों की शीघ्र कॉस जांच कर रिपोर्ट देने का कहा गया है। वहीं ऐसा नहीं करने पर संबंधित कार्मिको के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की चेतावनी दी गई है।