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फोन टैपिंग पर सियासत तेज, राठौड़ ने डोटासरा से पूछा, मुख्य सचेतक के मुकदमे पर एफआर क्यों लगा दी गई ?

locationजयपुरPublished: Mar 26, 2021 04:32:52 pm

Submitted by:

Umesh Sharma

फोन टैपिंग मामले में सियासत तेज हो गई है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराने के बाद भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच जुबानी हमले शुरू हो गए हैं।

फोन टैपिंग पर सियासत तेज, राठौड़ ने डोटासरा से पूछा, मुख्य सचेतक के मुकदमे पर एफआर क्यों लगा दी गई ?

फोन टैपिंग पर सियासत तेज, राठौड़ ने डोटासरा से पूछा, मुख्य सचेतक के मुकदमे पर एफआर क्यों लगा दी गई ?

जयपुर।

फोन टैपिंग मामले में सियासत तेज हो गई है। केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के दिल्ली में एफआईआर दर्ज कराने के बाद भाजपा और कांग्रेस नेताओं के बीच जुबानी हमले शुरू हो गए हैं। पीसीसी अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने ट्वीट कर कहा कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत झूठी एफआईआर की नौटंकी बंद करें और राजस्थान पधारकर अपना वॉयस सैम्पल एसीबी को दें, ताकि प्रदेश की सरकार को गिराने की साज़िश में आपकी संलिप्तता का जो सबूत राजस्थान पुलिस के पास है, उसका सच बाहर आ सके।
डोटासरा के इस बयान पर उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने ट्वीट कर कहा कि डोटासरा जी, आप केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह जी का वॉयस सैम्पल लेने से पहले उन कारणों का तो खुलासा कर दें कि आपकी ही सरकार के मुख्य सचेतक द्वारा दर्ज कराए गए मुकदमे में एफआर क्यों लगा दी गई ? आईपीसी की धारा 182 के तहत मुख्य सचेतक पर क्यों कार्रवाई नहीं की जा रही ? राठौड़ ने कहा कि पूर्व में मुख्य सचेतक द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में वो ही अभियुक्त बनाए गए थे, जो सरकार की कुर्सी डगमगाने के समय मुख्यमंत्री के साथ बैठकर चाय पी रहे थे। पहले आप अपने गिरेबां में झांकें और फिर दूसरों पर आरोप लगाएं।
राठौड़ ने कहा कि जनप्रतिनिधियों के अलोकतांत्रिक तरीके से फोन टैपिंग करने से राजस्थान प्रदेश की छवि धूमिल हुई है जिसकी दोषी आपकी ही कांग्रेस पार्टी है। राज्य के इतिहास में पहली ऐसी सरकार है जिस पर अवैधानिक व अनैतिक ढंग से फोन टैप कर जनप्रतिनिधियों की निजता भंग करने का धब्बा लगा है जो कभी नहीं मिट पाएगा। राठौड़ ने कहा कि लोकतंत्र की हत्या, जनप्रतिनिधियों की निजता भंग और संवैधानिक प्रक्रियाओं को धता बताकर कोई सरकार कैसे काम करती है इसका गहलोत सरकार से उत्कृष्ट उदाहरण नहीं हो सकता। वॉयस सैंपल लेने के लिए आप इतने ही आतुर हैं तो पहले अपनी ही पार्टी के विधायकों के सैंपल लें ताकि सत्यता सामने आएं।
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